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महाकुंभ मेले का शुभारंभ आज से हो चुका है.पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति पर सुबह 4 बजे से पहला स्नान शुरु हुआ. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भक्तों पर हेलिकॉटर से फूलों की वर्षा की गई. महाकुंभ दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग में शुरू हुआ. आज पवित्र जल में स्नान का दिन था. मकर राशि में स्थित सूर्य जल का कारक भी है. मकर राशि का पूर्वार्ध पृथ्वी तत्व प्रधान है और उत्तरार्रध जल प्रधान है. पुराणों के अनुसार गंगा का अवतरण भी यहीं से हुआ था. यही ब्रह्मा ने विष्णु रूपधारी ब्राह्मण वामन के पाँव धोये थे. मकर राशि का उत्तरार्रध जल प्रधान है. उसी जल प्रधान हिस्से में यह घटना घटी थी.

आज से ही श्रद्धालुओं ने 45 दिन का कल्पवास शुरू हुआ है जो अंत तक रहता है. मकर संक्रांति पर श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले अमृत स्नान किया जबकि दूसरे स्थान पर श्रीतपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा एवं श्रीपंचायती अखाड़ा आनंद अमृत स्नान किया. पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने हाथी घोड़े, भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया.

साधु संतों के साथ आम जनता ने भी आज अमृत स्नान कर अमरत्व प्राप्त किया. ऐसा माना जाता है कि गंगा वैकुण्ठ जाने के लिए राजमार्ग है. महाकुम्भ में श्रद्धालुओं ने आज स्नान करके पूजा किया और दान इत्यादि दिए. कुम्भ मेले में दूर दूर से आये हजारो लोग खुले में रात बिताते हुए दिखे, उनके लिए कोई प्रबंध नहीं था.

कम्पनियों ने वहां धनिक लोगो के लिए 5 स्टार होटल की सुविधा वाले पंडाल लगाये हैं जिसमे सब कुछ है. एक कम्पनी 80 हजार से 1 करोड़ तक चार्ज कर रही है. यह एक डोमसिटी के अंतर्गत बनाया गया है. ढाई हेक्टेयर में 51 करोड़ खर्च कर डोम सिटी है.

इसमें कुल 44 बुलेटप्रूफ कमरे हैं और डोम सिटी में 176 अत्याधुनिक कॉटेज, एयर कंडीशनर, गीजर लगे हैं. यहाँ धनी लोग पिकनिक के लिए जायेंगे न कि पुण्य के लिए. पुण्य भी उन्हें 5 स्टार सुविधा के साथ चाहिए.

कुम्भ मेला मकरसंक्रांति के ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हुआ और यह 26 फरवरी तक चलेगा. इस दौरान अनेक स्नान होंगे जो पुन्य स्नान कहे जाते है. ये सभी ज्योतिष के अनुसार ही किये जाते हैं. ज्योतिष के अनुसार समुद्रमंथन भी नक्षत्रों में हुआ था. समुद्र मंथन से कॉस्मिक या पवित्र अमृत वहीं से गिरा था. यह एक ज्योतिषीय परिघटना है जिसे पौराणिक सन्दर्भ में प्रचारित किया गया था.