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देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं दो चैत्र और अश्विन की प्रमुख नवरात्रि और दो माघ और आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि. जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में प्रमुख रूप से दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. लेकिन ऐसा कोई नियम नहीं है कि गुप्त नवरात्रि में सिर्फ तांत्रिक दस महाविद्याओं की उपासना ही की जानी चाहिए. इस नवरात्रि में आम जन भी नवरात्रि की तरह ही पूजन कर सकते हैं. इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि देवी की तांत्रिक पूजा गुप्त तरीके से की जाती है. कुछ उपासनाएं गुप्त तरीके से करनी भी चाहिए. देवताओं को दिखावा नहीं, गुप्त पूजा ही प्रिय है. गुप्त नवरात्रि के दौरान ज्यादातर साधक माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं. गुप्त नवरात्रि में दुर्गा माता के तांत्रिक स्वरूप जैसे आसुरी दुर्गा, कालरात्रि इत्यादि रूपों की पूजा भी की जाती है.

काली, तारा महाविद्या, षोडशी भुवनेश्वरी ।
भैरवी, छिन्नमस्तिका च विद्या धूमावती तथा ॥
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका ।
एता दश-महाविद्याः सिद्ध-विद्याः प्रकीर्तिता: ॥
गुप्त नवरात्रि शक्ति साधना के लिए विशेष महत्त्व रखती है. इस दौरान साधक देवी भगवती की द्रुत साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं.

माघ नवरात्रि मुहूर्त –

माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी और नवमी तिथि को सम्पन्न होगी. हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल 2024 में माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी, शनिवार के दिन से हो रही है. इसका समापन 18 फरवरी, रविवार के दिन होगा.
माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 10 फरवरी 2024 को सुबह 04 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 11 फरवरी रात्रि 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी.
माघ गुप्त नवरात्र के घट स्थापना का मुहूर्त –

घट स्थापना का मुहूर्त – 10 फरवरी, सुबह 08 बजकर 45 मिनट से सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. जो लोग इसमें घट स्थापित नहीं कर सकते उनके लिए अभिजित मुहूर्त का समय रहेगा.
अभिजित मुहूर्त 10 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा.