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कुछ ज्योतिष के ग्रह योग जन्म कुंडली में विद्यमान हों तो जातक दीर्घायु होता है. दीर्घायु और निरोगी काया के लिए कुछ शर्ते हैं. यदि लग्न स्वच्छ है, लग्न लॉर्ड स्वच्छ है, चंद्र स्वच्छ है और सूर्य बलवान है तो जातक को जीवन में स्वास्थ्य आदि की समस्या न के बराबर होती है. नीचे कुछ योग दिए जा रहे हैं जिसमे सौ वर्ष की आयु से परमायु तक के योग हैं. वेदों में सौ वर्ष की आयु को ही आदर्श माना गया है. जो मनुष्य सौ वर्ष जीता है वह भाग्यशाली है.
जीवेम शरदः शतम- हे सूर्य हम सौ वर्ष तक जीवित रहें.
पश्येम शरदः शतम- हे सूर्य हम सौ वर्षों तक देखते रहे.
बुध्येम शरदः शतम- हे सूर्य हम सौ वर्ष तक बुद्धि युक्त रहे.
रोहेम शरदः शतम- हे सूर्य हम सौ वर्ष तक वृद्धि करते रहे.
पुषेम शरदः शतम- हे सूर्य हम सौ वर्ष तक पुष्ट रहें.

नीचे दिए गये योग हों तो मनुष्य सौ वर्ष सुख पूर्वक जीता है –
1- यदि जन्म काल में केंद्र और त्रिकोण में पाप ग्रह न हों और लग्नेश तथा गुरु बृहस्पति केंद्र में हो विशेष रूप से चौथे घर में या लग्न में हों तो जातक सुख भोगने वाला, पुन्य करने वाला और सौ वर्ष तक निरोग रहने वाला होता है.

2-यदि जन्म काल में उच्च राशि गत शुक्र लग्न में हो तथा शुभ ग्रह से दृष्ट चन्द्रमा अष्टम हो और गुरु केंद्र में हो तो जातक सौ वर्ष जीता है.

३-यदि जन्म काल में बलवान लग्नेश केंद्र में पाप ग्रहों से अदृष्ट हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक दीर्घायु और राजा होता है.

4-यदि जन्म काल में लग्न के एक ही अंश पर बुद्ध-गुरु और शुक्र हों तथा नवम में शनि हो तो जातक भोगी और दीर्घायु होता है.

5-यदि जन्म काल में लग्न से छठवे, आठवें चन्द्रमा हो तथा केंद्र में गुरु हो तो जातक निरोग रहकर सौ वर्ष तक जीता है.

6-यदि जन्म के समय लग्न और अष्टम में ग्रह न हों और चन्द्रमा तथा गुरु बलवान हों और अन्य सभी ग्रह शुभ राशियों में हों तो जातक सौ वर्ष जीता है.

7-यदि जन्म के समय चन्द्रमा मित्र के नवांश में या उच्च राशि के नवांश में ग्यारहवे घर में हो और नवमेश लग्न में हो और शनि बलवान हो तो जातक ऋषि की तरह सैकड़ो वर्ष जीता है.

8-यदि जन्म काल में क्रूर ग्रह की राशियों में पाप ग्रह और शुभ ग्रह की राशियों में शुभ ग्रह हों तथा लग्नेश बलवान हो तो जातक की सौ वर्ष से ज्यादा जीवित रहता है.

9-यदि अष्टम में मंगल हो या लग्न में मंगल सूर्य के साथ हो तथा केंद्र में गुरु बृहस्पति हों तो जातक सौ वर्ष जीता है.

10-यदि जन्म काल में शुक्र-शनि-मंगल चर राशि के नवांश में हों और सूर्य गुरु स्थिर राशि के नवांश में हों तथा शेष ग्रह द्विस्वभाव राशि में हों तो जातक दीर्घायु होता है.