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जगल्लग्न मेष राशि में सूर्य संक्रांति के क्षण का लग्न है. यह लग्न सायन सूर्य के अनुसार नहीं लिया जाता, यह निरयण सूर्य संक्रांति का लग्न होता है. इस लग्न से देश के लिए साल भर का फलादेश किया जाता है. देश में सुख शांति रहेगी या नहीं, देश की अर्थव्यवस्था कैसी रहेगी, किन चीजों का भाव बढ़ेगा, कृषि कैसी रहेगी, वर्षा होगी या अकाल पड़ेगा, शासन क्रूर होगा और लूटपाट होगी या जनता के लिए शुभ होगा? सम्वत्सर के दस अधिकारियों अर्थात वर्ष का राजा, मंत्री, सस्येश, धनेश इत्यादि के फल की पुष्टि इस जगल्लग्न से की जाती है. जगल्लग्न का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस वर्ष 2024 में सूर्य मेष राशि में 13 अप्रैल को शनिवार के दिन 20:23 मिनट पर गोचर करेगा. गोचर रात्रि में होने से यह शुभ है लेकिन शानिवार के दिन गोचर होने से यह अशुभ है. मंगलवार को नव सम्वत्सर का प्रारम्भ और शनिवार को मेषार्क होने से यह वर्ष पहली नजर में बहुत शुभ फलदायक नहीं होगा. इस वर्ष का जगल्लग्न तुला है –

सूर्य सदैव अश्विनी नक्षत्र में ही प्रविष्ट होता है इसलिए प्रवेश लग्न के नक्षत्र को महत्व दिया गया है. तुला लग्न में विशाखा द्वितीय चरण होने से ज्योतिष ग्रंथो के अनुसार रोग की अधिकता होगी. लग्नेश षष्टम भी है. राजा मंगल का ओपोजिट जगल्लग्न उदित होने से शनि प्रभावी होगा. सूर्य सप्तम भाव में होगा इसलिए विदेश से ट्रेड में भारत आगे बढ़ेगा परन्तु पाप ग्रह बृहस्पति के होने से जनता पीड़ित हो सकती है. रात के समय मेषार्क प्रवेश होने से अच्छी वर्षा का अनुमान है. शास्त्रों में शनिवार के दिन मेषार्क प्रवेश होने से चोरी, लूटपाट, राहजनी, बलात्कार, खून खराबा की सम्भवना बताई गई है. षष्टी तिथि होने से भी मेषार्क प्रवेश में बहुत शुभत्व नहीं है. लग्नेश के छठवे में राहु के साथ होने से विपत्ति, रोग और शत्रुओं से पीड़ा के संकेत मिलते हैं. लग्नेश शुक्र है तथा शुक्र का षष्टम में फल सभी ग्रंथो में अशुभ कहा गया है. नवमेश का षष्टम में होना धर्म क्षेत्र में उत्पात का संकेत देता है. राजा मंगल द्वादशेश है और इसका मंत्री शनि की पंचम भाव में युति भी शुभ फलदायी नहीं कही जा सकती है. नवांश अष्टम का लग्न उदित है और अष्टमेश मारक भाव में नीच चन्द्रमा के साथ है. मंगल-शनि युति प्रभावशाली होगी. शनि तुला लग्न में योगकारक होता है लेकिन नवमांश में द्वादशेश के साथ द्वादश में नीच है और अशुभ भाव में नीच भंग राजयोग बना है. ऐसे में अधर्म की वृद्धि, लूटपाट, अंडरग्राउंड गतिविधियाँ, गलत कार्यों की खबरे ज्यादा मिलने का अनुमान है. यही मोटा मोटा फल कहा जा सकता है.

मेषार्क या जगल्लग्न से व्यक्तिगत कुंडली का भी फल कहा गया है. मेषार्क लग्न जन्मकुंडली के जिस भाव में पड़ता है तदनुसार मोटा मोटा फल कुछ इस प्रकार होता है. 1-पहले में पड़े तो शरीर सुख 2-दूसरे भाव में धनागम 3-तीसरे में परिवार वृद्धि 4- चौथे में मित्रो की प्राप्ति 5-पांचवे में पुत्र सुख 6-छठवे में शत्रु की पराजय 7-सातवें में स्त्री सुख 8-आठवे में रोग 9-नवें धर्म और धन लाभ 10-दसवें में सम्मान और धन की प्राप्ति 11- ग्यारहवें में लाभ और अनेक सुख 12- बारहवे में दुःख और दरिद्रता होती है. जगल्लग्न जन्म कुंडली से आठवे, बारहवे या छठवे पड़ने पर जातक को वर्ष भर शुभ फल नहीं होता है. वर्ष भर कोई न कोई कष्ट होता रहता है.