देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर को एकबार अपने पद और धन का घमंड हो गया. इसी घमंड में उन्होंने शिव जी को अपना रुतबा दिखाना चाहा. कुबेर शिव जी को सपरिवार अपने महल में खाने का निमंत्रण देने कैलाश पहुंच गये और शिव को आमंत्रित किया.
शिव जी ने कहा कि हमें खाना खिलाने से अच्छा है कि आप संतों, महात्माओं औररूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं. कुबेर ने कहा कि महादेव, मेरे पास बहुत धन है और मैं उनको खाना खिलाता ही रहता हूं, लेकिन आज मेरी इच्छा है कि मैं आपके परिवार को भी खाना खिलाऊं.
शिव जी कुबेर के अहंकार को देख मुस्कुराते हुए बोले -आप एक काम करें, गणेश को अपने साथ ले जाएं और ही भोजन करा दीजिए. गणेश तृप्त हुए तो समझ लेना हम भी तृप्त हो गये.
खाने का निमंत्रण पाकर लम्बोदर गणेश जी कुबेर के महल भोजन करने पहुंचे . कुबेर ने उनके लिए बहुत सारा पकवान बनवाया था. गणेश जी खाने बैठे तो वे खाते खाते गये और थोड़ी ही देर में कुबेर की रसोई खाली हो गई. गणेश जी ने और खाना मांगा.
कुबेर ये देखकर घबरा गए. उन्होंने और खाना तुरंत बनवाया और पुन: खिलाने लगे लेकिन वह भी खत्म हो गया. कुबेर ने गणेश जी के सामने हाथ जोड़ लिए और कहा कि अब तो मेरे घर का सारा खाना खत्म हो गया है. मैं और खाना नहीं खिला सकता.
गणेश जी ने कहा कि लेकिन मेरी भूख तो अभी शांत ही नहीं हुई है. मुझे अपने रसोईघर में ले चलो. कुबेर गणेश जी को रसोईघर में ले गए तो वहां रखी सभी चीजें गणेश खा गए. फिर भी गणेश जी की भूखे शांत नहीं हुई. उन्होंने कहा कि मुझे भंडार गृह में ले चलो, जहां खाने का कच्चा सामान रखा है. कुबेर भगवान को अपने भंडार गृह में ले गए तो गणेश जी ने वहां रखी खाने की सभी चीजें भी खा गये.
अब तो कुबेर देव की बुद्धि ने काम करना बंद कर दिया. वे भयभीत हो गये. कुबेर भागे भागे शिव जी के पास पहुंचे और शिव जी को पूरी बात बता दी. शिव जी ने माता पार्वती को बुलाकर लाने के लिए कहा. मां पार्वती को देखकर गणेश ने कहा कि मां, कुबेर देव के खाने से मेरी भूख शांत नहीं हुई है. मुझे खाने के लिए कुछ दीजिए. पार्वती अपने रसोईघर में गईं और खाना ले आईं. उन्होंने जैसे ही देवी ने गणेश जी को अपने हाथ से खाना खिलाया तो गणेश तृप्त हो गए. मां और खिलाने लगी तो गणेश जी ने कहा, मां मेरा पेट भर गया है. अब मैं नहीं खा सकता
ये सब देखकर कुबेर देव का घमंड टूट गया और उन्हें अपनी गलती समझ आ गई. कुबेर ने सभी से क्षमा मांगी.

