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केतु राहु का धड़ है इसलिए केतु को राहु से अलग रख कर नहीं देखना चाहिए. केतु की गणना क्रूर-पाप ग्रहों में की जाती हैं हलांकि इसे मुक्ति का कारक माना गया है यदि यह शुभ स्थान में स्थित हो. यह तीसरे, छठवें और ग्यारहवें स्थान में ज्यादातर शुभ फल करता है. मत्स्य पुराण में इसका स्वरूप द्विभुज, विकृत मुख वाला, दोनों हाथों में गदा और वरद मुद्रा धारण करने वाला और गिद्ध पर आसीन बताया गया है. केतु का कमोवेश यही विग्रह लोक में प्रसिद्ध है लेकिन अस्त्र तलवार प्रसिद्ध है. आर्द्रा, अश्लेषा इत्यादि क्रूर नक्षत्रों में केतु हो तो इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक को प्राणों का संकट होता है. केतु खराब होता है तो मंगल जैसा क्रूर प्रभाव होता है और जातक भूत-प्रेतादि, रोग, दुश्मन, चोट, एक्सीडेंट, फोड़े इत्यादि परेशान रहता है. खराब केतु का पाप ग्रहों से युति दृष्टि, दु:स्थान में होने या उनके अधिपति से युक्त होने पर था क्षीण चन्द्रमा होने पर पिशाच और प्रेत बाधा, नीच आत्माओं से बाधा और कष्ट तथा बुद्धि भ्रम होता है. इससे सिर दर्द, स्किन से जुड़ी समस्या, जोड़ों में दर्द, संतान प्राप्ति में दिक्कतें आती हैं. कुंडली में अगर आप केतु ग्रह से प्रभावित हैं तो इसके दुष्प्रभावओं को कम करने के लिए केतु ग्रह के देवता गणेश जी की पूजा करें.

1. यदि आपकी कुंडली में केतु दोष है, तो आपको हर मंगलवार व्रत करना चाहिए. आपको कम से कम 8 मंगलवार का व्रत रखना चाहिए.

2. केतु दोष को दूर करने या केतु की शांति के लिए बीज मन्त्र ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम या वैदिक मन्त्र मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए.

3. केतु दोष से मुक्ति के लिए कंबल, छाता, लोहा, उड़द, गर्म कपड़े, कस्तूरी, लहसुनिया आदि का दान जरूरतमंदो को करना चाहिए।

4. केतु दोष के निवारण के लिए आप उसके लहसुनिया रत्न को धारण कर सकते हैं. यदि यह नहीं मिलता है, तो आप केतु के उपरत्न फिरोजा, संघीय या गोदंत को भी पहन सकते हैं.

5. यदि आप केतु दोष से मुक्त होने के गणेश जी की पूजा करें, कुत्ता पालना चाहिए और कुत्ते की सेवा करना भी काफी लाभदायक माना जाता हैं.

6-केतु खराब हो तो बकरे का दान बहुत लाभदायक होता है. यदि दान लेने वाला कमसे कम 1 साल उसे पाले तो केतु के अनेक दोष खत्म होते हैं.

7- केतु यदि अष्टम हो तो गिद्धों को मंगलवार को मांस का अर्पण करना भी एक प्रशस्त उपाय है.