
सूर्य देव विष्णु का साक्षात् प्रतीक हैं. कल 16 दिसम्बर को होगा सूर्य का धनु राशि में गोचर, यहाँ से आगे उत्तरायण होंगे, अपनी उच्च राशि की तरफ बढ़ेंगे. सूर्य के धनु में गोचर के साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी. पुराणों के अनुसार,भगवान की कृपा प्राप्त करने की कामना रखने वाले श्रद्धालुओं को खरमास में धार्मिक नियमों का पालन करना चाहिए.खरमास में जप,तप,ध्यान एवं दान करना शीघ्र फलदाई माना गया है.
16 दिसम्बर से लग जाएगा खरमास –
पंचांग के अनुसार, 16 दिसंबर को सूर्य देव शाम 03 बजकर 58 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. खरमास का समापन 15 जनवरी 2024 को होगा. सूर्य संक्रांति के साथ खरमास लग जायेगा. ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस खरमास महीने में शादी, विवाह, विदाई, उपनयन, मुंडन आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. खरमास का अर्थ है गधे का महीना. सूर्य देव खरमास में अपनी 8 राशियों की लम्बी यात्रा के बाद अपने थके घोड़ों को खोल देते हैं और खरमास तक गधे को रथ में जोत कर सवारी करते हैं. इस वजह से इस महीने का नाम खरमास है. इस महीने में सूर्य की औसत गति कम हो जाती है.
खरमास में क्या करें –
1-खरमास में गरीब लोगों की मदद करने से जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. गुड़, तिल, कंबल और गर्म कपड़े समेत गुरु से सम्बन्धित चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है.
2-सूर्य का मंत्र ‘ॐ घृणि: सूर्याय नम:’ का जाप लाल चंदन की माला से करने से सूर्य की कृपा मिलती है.
3-भगवान विष्णु का बृहस्पति रूप में पूजन करें और उनके मन्त्रों का जप करें. सूर्य मंडल में भगवान को हल्दी मिश्रित गंगा जल से अर्घ्य दे. सूर्य देव और बृहस्पति भगवान का एक साथ आशीर्वाद मिलता है.
4- खरमास में पड़ने वाली मोक्षदा और सफला एकादशी का व्रत विधिपूर्वक अवश्य करें.
खरमास में पड़ने वाली प्रमुख तिथियाँ –
1-16 दिसम्बर सूर्य की धनु संक्रांति (खरमास प्रारम्भ )
2-22-23 दिसम्बर मोक्षदा एकादशी
3-26 दिसम्बर मार्गशीर्ष पूर्णिमा
3-30 दिसम्बर अखुरठा संकष्टी
4-7 जनवरी सफला एकादशी
5-11 जनवरी पौष अमावस्या
6-14 जनवरी मकर संक्रांति