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हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान स्कन्द जिन्हें कुमार कार्तिकेय की पूजा आराधना की जाती है. कुमार कार्तिकेय या स्कन्द स्वामी की कृत्तिकाओं ने पाला था इसलिए इनका कृत्तिका नक्षत्र और मेष राशि से गहरा सम्बन्ध है. पार्वती के पुत्र स्कन्द का सम्बन्ध मंगल की राशि से होने के कारण ही देवों की सेना के सेनापति हैं क्योंकि मंगल सेनापति है.

महाभारत के अनुसार कृत्तिकाओं को इन्होने बालकों को 12 वर्ष की उम्र तक भक्षण करने और पीड़ित करने का आशीर्वाद दिया था. इस कथा के अनुसार ही मान्यता है कि जो व्यक्ति षष्ठी की पूजा करता है और उपवास रखता है उसकी संतानें जीवित रहती हैं, उन्हें कोई कष्ट और पीड़ा नहीं होती. षष्टी के दिन कुमार कार्तिकेय की पूजा से शौर्य और बल की वृद्धि होती है और भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. षष्टी के दिन शिव पार्वती की पूजा के साथ ही स्कन्द स्वामी की पूजा करनी चाहिए. भगवान स्कन्द भक्तो की मनचाही इच्छा पूरी करते हैं. महिलाओं के लिए षष्टी व्रत अत्यंत लाभकारी होता है. जिनके सन्तान नहीं है उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए.

मुहूर्त-

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि, 11 जून दिन मंगलवार को शाम 5:27 बजे शुरू होगी और 12 जून दिन बुधवार को शाम 7:17 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का पर्व 12 जून को ही मनाया जाएगा.