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हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि चंद्र देव द्वारा शासित है इस दिन चद्रमा के साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है. इस दिन चन्द्र मंडल में चन्द्र देव की पूजा करके चंद्र देवता को अर्घ्य देने से चन्द्र दोष का निवारण होता है. पूर्णिमा के दिन स्नान, दान व भगवान विष्णु की पूजा करने की भी परम्परा है. पूर्णिमा भोग कारक चंद्रमा की तिथि है और यह देवताओं के सोमपान की तिथि भी है इसलिए इस दिन देव पूजन करने से धन धान्य की वृद्धि होती है और घर में सुख शांति आती है. पूर्णिमा में लक्ष्मी पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन चन्द्र पूजन से कुंडली के दोष दूर होते हैं. ज्येष्ठ महीना इंद्र द्वारा शासित है क्योकि इस नक्षत्र के शासक इंद्र देव हैं, इसलिए भी यह पूर्णिमा विशेष है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर होगी. इस तिथि का समापन 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर होगा. पूर्णिमा का व्रत और पूजन 10 जून 2025, मंगलवार को किया जायेगा. पूर्णिमा तिथि का आरंभ 10 जून को दिन में हो रहा है और यह पूरी रात तक रहेगी, जिससे चंद्र दर्शन और पूजन इसी दौरान करना प्रशस्त है. इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 40 मिनट रहेगा. स्नान-दान और अन्य पुण्य कर्म 11 जून 2025, बुधवार को किए जाएंगे. ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर वट वृक्ष की पूजा भी की जाती है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है इसलिए वट का पूजन करना चाहिए.