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ज्येष्ठ माह की अमावस्या सभी अमावस्या की तरह महत्वपूर्ण मानी जाती है. अमावस्या विशेष रूप से पितरों के लिए पशस्त तिथि है इसलिए इसमें पितरों की पूजा, श्राद्ध और तर्पण का महत्व है. ऐसी प्राचीन काल से माना जाता रहा है कि इस दिन गंगा स्नान और पितरों का तर्पण करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं. अमावस्या पर काले तिल से पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस बार ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत रखा जायेगा इसलिए इस महीने की अमावस्या विशेष है. वट सावित्री 6 जून को पड़ रही है. इस दिन पीपल मूल में शनि पूजा का भी विशेष महत्व है. पीपल में पितरों का वास होता है इसलिए पीपल की पूजा करने से भी पितर प्रसन्न होते हैं.

इसके इतर इस दिन यदि पीपल वृक्ष की 1001 परिक्रमा गायत्री मन्त्र का जप करते हुए किया जाय तो अनिष्टों का नाश होता है, शनि दोष का प्रभाव क्षीण हो जाता है. आयु के लिए भी पीपल वृक्ष की परिक्रमा करते हुए विधिपूर्वक गायत्री मन्त्र का जप करने से आयु की वृद्धि होती है. एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या तक प्रति दिन पीपल वृक्षं के नीचे एक दीपक जलाकर बैठे और दोपहर में गायत्री का 1001 जप करे. जप सम्पन्न करने के बाद 108 परिक्रमा करें और अर्घ्य जल पीपल मूल में गायत्री मन्त्र से ब्रह्म शक्ति गायत्री का ध्यान करते हुए प्रदान करें. इससे दीर्घायु, पितृ दोष से मुक्ति और सकल कामनाओं की पूर्ति होती है. गायत्री मन्त्र से पूर्व जनेऊ जरुर धारण करें. जिनको जनेऊ निषेध हैं उन्हें शिवाय नम: द्वारा यह कार्य करना चाहिए.

मुहूर्त –

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या 5 जून, 2024 रात्रि 07 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी. इसका समापन अगले दिन 6 जून, 2024 शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगा. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून, 2024 को मनाई जाएगी.