जीवन से सम्बन्धित किसी भी विषय को जानने के लिए सम्पूर्ण कुंडली की परीक्षा करनी पड़ती है, एक छोटा विषय भी कुंडली में कई चीजों पर निर्भर करता है। जातक का रोजगार कैसा होगा इसके लिए जन्मपत्री की कई तरह से परीक्षा की जाती है। पारम्परिक ज्योतिष में लग्न और चन्द्रमा में जो बली हो उसके दशम स्थित ग्रह और दशम से दशम स्थित ग्रहों के स्वभाव और कारकत्व के अनुसार आजीविका और धन प्राप्ति बताई जाती है। मसलन यदि ये ग्रह सूर्य हो तो सूर्य का जैसा कारकत्व शास्त्रों में बताया गया है उसके अनुसार धन मिलेगा या आजीविका मिलेगी। सूर्य आत्मा तथा पिता का कारक ग्रह है। सूर्य के पास सभी राज्य से सम्बन्धित अधिकार हैं, यह राजसत्ता और शक्ति का प्रतीक है और उसका कारक है। यह सरकारी नौकरी का कारक है, राज़-सत्ता में कोई भी प्रशासनिक सेवा, राजनयिकों का कार्य, और अनुशासन का काम शक्ति से होता है तो इससे सम्बन्धित सभी कार्य सूर्य के अंतर्गत है। सूर्य आरोग्यता का प्रमुख कारक है तो मेडिकल से सम्बन्धित नौकरी और सभी तरह के रोजगार इसके अंतर्गत आते है। यह हड्डी का कारक है तो हड्डी से सम्बन्धित सभी रोजगार, यह कृषि बीज़ का कारक है तो इसके सभी रोजगार, सरकार, नेतृत्व, नेत्र, पराक्रमअर्थात किसी का बॉडीगार्ड होना, सेक्योरिटी सर्विसेज से, शौर्य से, चिकित्सा-विज्ञान, अमीर वैभवशाली लोग से लाभ, यश व सम्मान (अनेक लोगों सम्मान दिलाने को भी बिजनेस बना लिया है ), जंगल या पहाड़ की यात्रा और इनसे जुड़े उद्योग, सोना, गेहूँ आदि का कारक सूर्य है- इन सबके अनुसार जातक को धन लाभ हो सकता है या आजीविका हो सकती है । लग्न और चन्द्रमा में जो बली हो उसका दशमेश और दशमेश से दशम भाव में स्थित ग्रह के अनुसार धन प्राप्ति निम्नलिखित लोगों से हो सकती है – सूर्य हो तो पिता से, चन्द्र हो तो माता से, मंगल हो तो शत्रु से, बुध हो तो मित्र से, गुरु हो तो भाई से, शुक्र हो तो पत्नी से या अन्य स्त्रियों से, शनि हो तो नौकर से धन प्राप्त होता है ।
दूसरा यदि दशम भाव में और दशम से दशम में कोई ग्रह न हो तो लग्न और चन्द्रमा में जो बलवान हो उसका दशमेश जिस नवांश में हो उस नवांश के स्वामी के अनुसार जीविका बताते हैं। सक्षिप्त में यदि नवांश स्वामी सूर्य हो तो उसके अनुसार आजीविका निम्नलिखित हो सकती है –
सूर्य – यदि दशमेश सूर्य के नवांश में हो तो व्यक्ति की आजीविका औषधि-निर्माण, चिकित्सा, व्यवसाय, स्वर्ण से स्म्बन्द्भिक्त कार्य, सोने के पानी से निर्मित वस्तुए, जल पोतों द्वारा व्यापार, समुद्री खनिज से कारोबार, देता, राजनेता, वकील, दूतकर्म अर्थात राज्यपाल इत्यादि, भ्रमण आदि कार्यों से जीविका होती है। परामर्शदाता का कार्य, रसक्रिया, चुनाव लड़ कर, मुकदमे से , मनोरंजन, आध्यात्मिक उपदेश द्वारा, पुराणों की कथा द्वारा, राज्य शासन द्वारा आजीविका चलती है ।
यदि सूर्य ही जन्म कुंडली में रोजगार का कारक है और उसका शुभ प्रभाव नहीं है तो सूर्य का उपाय करना चाहिए। यदि सूर्य कारक है और वह नीच, दु:स्थान में है तो उसके लिए सूर्य का ये उपाय करने चाहिए….
सूर्यदेव की पूजा करें
यदि आपको सरकारी नौकरी धनऔर यश की कामना है और कुंडली में सूर्य अच्छा नहीं है तो रविवार के दिन प्रत्यक्ष देवता सूर्य की पूजा करें। रविवार के दिन भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा-आराधना और व्रत करने से तमाम तरह की बाधाएं दूर होती हैं और सरकारी नौकरी, कारोबार में सफलता मिलने लगती है।
सूर्य भगवान को अर्घ्य दें
प्रतिदिन भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। सुबह नहा-धोकर के यह उपाय सूर्योदय काल में जब सूर्य की रश्मियों का रंग किंचित रक्त वर्ण का हो उस समय करना चाहिए। यदि प्रतिदिन नहीं कर सकते तो सिर्फ रविवार को ही नियमित रूप से सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार जल चढ़ाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।
सूर्य के इस मंत्र से पूरी होगी मनोकामना
सूर्य की उपासना में मंत्रों का जप करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और सरकारी नौकरी पाने के लिए सूर्य ग्रह के मंत्र बेहद कारगर होते हैं। ये मंत्र आपके भीतर एक नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार पैदा करते हैं। सूर्य मंत्र –
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।
गुड़ का दान करें
पुराणों के अनुसार सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए रविवार को गुड़ का दान करना चाहिए। रविवार को या रवि नक्षत्र में दान करने का विशेष महत्व होता है। आप अपनी इच्छानुसार तौल का गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं। लेकिन अपने वजन के बराबर तौल का दान श्रेष्ठ होता है । रविवार को या सूर्य नक्षत्र में इसका विधिवत दान करना चाहिए।

