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जातकों की जन्म तिथि में दोष होने से जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. तिथि गंड, दिन गंड, रात्रि गंड , संध्या गंड, विष घटी और तिथियों में बने यमघंट आदि योग जातक के लिए अनिष्टकारी होते हैं. इन तिथियों के दोष से न केवल जातक को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है बल्कि अरिष्ट और वंशोच्छेद तक हो जाता है. इस सबका विचार कुंडली में आवश्य करना चाहिए. तिथियों में पूर्णा तिथि ( 5, 10, 15 ) की अंतिम घटी, नंदा तिथि ( 1, 6, 11 ) की आरम्भ की घटी तिथि गंडान्त है, उसी प्रकार शेष तिथियों के बारे में भी है. चतुर्दशी तिथि का पांचवां भाग वंश की हानि करता है जबकि छठवां भाग सर्वनाशक कहा गया है. रिक्ता तिथि में जन्म हो तो सभी काम असफल होते हैं और शरीर खंडित होता है जबकि यमघंट में जन्म हो तो जातक रोगी और अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. रविवार में मघा, सोमवार में विशाखा, मंगलवार में आर्द्रा, बुध में मूल, गुरूवार में कृत्तिका , शुक्रवार में रोहिणी, और शनिवार में हस्त हो तो यमघंट होता है. इसके इतर भद्रा, परिघ, वैधृति, शूल योग, कुलिक आदि योगों में जन्म से भी अनिष्ट होता है. तिथि दोषों के लिए तिथि देवताओं के अनुसार कार्य करने और उनकी पूजा और कुछ उपाय करने से उनके दोष खत्म होते हैं. तिथि के अनुसार कैसे उपाय करें यह इस तालिका में बताया जा रहा है –

तिथि तिथि देवताउपाय
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15 पूर्णिमा
30 अमावस्या
अग्नि देव
ब्रह्मा
गौरी
गणेश
नाग
कार्तिकेय
सूर्य
शिव
दुर्गा
यम
विश्वेदेव
विष्णु
कामदेव
शिव
चन्द्रमा
पितर
दीपक जलाना, सूर्य को नमस्कार
जल अभिषेक, दूर्वा भगवान कोअर्पण करना
कन्याओं को भेंट, देवी को नमस्कार
दूर्वा से गणेश पूजन
दूध का दान करना
पक्षियों को दाना देना
सूर्य की उपासना, व्रत
शिव पूजन
हलवा पूरी का भोग लगाना
घर के बाहर दीपक दक्षिण में जलाना सूर्योदय के समय देव दर्शन करना विष्णु की पूजा , नमस्कार करना
राधा-कृष्ण की पूजा, नमस्कार
शिव पूजन
दूध की मीठी चीज बाँट कर खाना
सुखा राशन दान करना

इन छोटे छोटे उपायों को करते रहने से तिथि दोष धीरे धीरे खत्म हो जाता है और शुभ फल की प्राप्ति होने लगती है. त