
जन्मकुंडली में चन्द्रमा के पाप ग्रहों के मध्य होने, दृष्ट या युत होने अथवा चन्द्रमा के कमजोर होने पर जातक का सुख क्षीण हो जाता है और अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. किसी शुभ ग्रह की दशा भी चन्द्रमा के कमजोर होने पर अच्छी नहीं जाती उसके फल में कमी हो जाती है. चंद्रमा ही दशा में फल भोग कराता है. चन्द्र देव सोम राजा है उनका जीवन पर अधिपत्य है. वेदों में कहा गया है कि चन्द्र देव का पूजन में सोममंडल की अधिष्ठात्री देवी की ही पूजा करना चाहिए. वैष्णव शास्त्रों में है कि श्री कृष्ण ने इन्हीं देवी की पूजा की थी. जो कुछ भी प्रकट है वह शक्ति का ही विस्फार है. अमावस्या को, जब सूर्य के पश्चिम भाग में स्थित सुषुम्ना नामक रश्मि में चन्द्रमा स्थित होते हैं उसी समय पूजन संपन्न कर चन्द्र देव को अर्घ्य देकर उपस्थान करना चाहिए. इस मन्त्र में जो बीज लगाया गया है वह वस्तुत: श्रीविद्या की नित्या देवी सर्वमंगला का बीज है.
माघ अमावस्या मुहूर्त -पंचांग के अनुसार माघ महीने में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस बार माघ अमावस्या की शुरुआत 28 जनवरी को शाम के 7:35 से हो रही है. जबकि इसका समापन 29 जनवरी को शाम के 6:05 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए मौनी अमावस्या को 29 जनवरी को रहेगी और इसी में पूजन होगा..
विनियोग: ॐ अस्य श्रीसोममन्त्रस्य भृगुरृषिः, पङ्क्तिश्छन्दः, सोमो देवता, स्वौं बीजम्, नमः शक्तिः, सोमप्रीतये जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि न्यास- ॐ भृगुऋषये नमः शिरसि । ॐ पङ्क्तिश्छन्दसे नमः मुखे । ॐ सोमदेवतायै नमो हृदि । ॐ स्वौं बीजाय नमः गुह्ये । ॐ नमः शक्तये नमः पादयोः । इति ऋष्यादिन्यासः ।
करन्यास- ॐ सां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । ॐ सीं तर्जनीभ्यां नमः । ॐ सूं मध्यमाभ्यां नमः । ॐ सैं अनामिकाभ्यां नमः । ॐ सौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ॐ सः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । इति करन्यासः ।
ध्यान –
ॐ कर्पूरस्फटिकावदातमनिशं पूर्णेन्दुबिम्बाननं मुक्तादामविभूषितेन वपुषा निर्मूलयन्तं तमः ।
हस्ताभ्यां कुमुदं वरञ्च दधतं नीलालकोद्भासितं स्वीयाङ्कस्थमृगोदिताश्रयगुणं सोमं सुधाब्धिं भजे ॥
चन्द्र देव का ध्यान कर विधिवत पूजन करें और इस मन्त्र का जप करें.
मन्त्र– ॐ स्वौं सोमाय नमः