
कथावाचक राजेन्द्र दास बाबा ज्यादातर अनेक बाबाओं, महात्माओ से सुनी हुई बातें युट्यूब चैनल पर बताते रहते हैं. बाबा की बातें कई बार काफी हास्यास्पद भी होती है लेकिन काफी रोचक रहती हैं- जैसे भंडारे की छत गिर गई क्योंकि वहां संतों की आत्मा भटक रही थी. एक वीडियो हमने हालिया में देखा था जिसमे बाबा जी किसी ज्योतिषी की सत्य घटना का विवरण दे रहे थे. उन्होंने बताया कि किसी ज्योतिषी ने उन्हें उनके भविष्य की ज्यादातर बातें सही बताई थी और बताया था कि हम सन्यासी होंगे और कब मठ के स्वामी होंगे. ये उस दिन का इन्तेजार करने लगे और ठीक वही समय आया जब उन्हें तीव्र वैराज्ञ हुआ और सन्यासी बन गये.
उस ज्योतिषी ने शनि की दशा में स्थान च्युत होने के बारे में भी बताया था जो घटित हुआ. शनि की दशा में स्थान च्युत हुये और सिर्फ तौलिया पर भटके लेकिन इसे शनि की पीड़ा नहीं मानते. बड़े गर्व से वीडियो में बताते हैं कि ज्योतिष के योग फलीभूत तो हुए लेकिन शनि कष्ट देता है वो नहीं हुआ. बाबा जी ने डींगें हांकते हुए बताया कि ज्योतिषी ने शनि दशा में शनि मन्त्र जपने को कहा था लेकिन जब ये अपने गुरु जी से पूछने गये तो उन्होंने मना कर दिया. कौन राम नाम छोड़ शनि मन्त्र जपे. इन्होने शनि मन्त्र नहीं जपा और राम नाम के सहारे रहे लेकिन तब भी हाथों में ग्रह के दो दो रत्न तो पहने ही हुए हैं ?
मनुष्य अपने कर्म के अनुसार ही ग्रह योग लेकर पैदा होता है और उन कर्मों का विपाक हुए बिना नहीं रहता. लेकिन ऐसा भी नहीं है उन कर्मो का बीज दग्ध न हो सके. पुराणों में मार्कंडेय ऋषि की कथा यही है, यदपि की वे अल्पायु होकर जन्मे थे लेकिन अपने तप नामक कर्म से उन्होंने दिव्यायु प्राप्त कर ली थी. यदि शनि की महादशा में दुःख की प्राप्ति होती है, तब मार्कन्डेय की तरह कर्म से उसकी निवृत्ति हो सकती है. यह जरूरी नहीं है कि शनि अपनी महादशा में सिर्फ दुःख ही देगा, शनि राजयोग भी देता है. शनि नैसर्गिक दुःख कारक है लेकिन यदि शनि कुंडली में योगकारक होकर राजयोग देने वाला है तब वह राजयोग देगा और दुःख किसी दूसरे ग्रह की अन्तर्दशा में देगा. शनि दुःख जरुर देगा यह निश्चित है.
कथावाचक राजेन्द्र दास बाबा की शनि की दशा योगकारी रही होगी जो उनकेअपने कर्मों से ही प्राप्त हुई थी इसलिए महादशा में यदपि की भटके लेकिन जहाँ जहाँ गये वस्तुएं सहज ही उपलब्ध हो गई. इसको ऐसे समझना चाहिए. मेरी अपनी जन्म कुंडली में शनि सबसे बड़ा मारक है लेकिन शनि की महादशा में भी कुछ अद्भुत योग घटे थे जो आश्चर्यजनक थे,मुझे उन चीजों की प्राप्ति होगी उसका अनुमान भी नहीं था. शनि मारक है तो शनि ने अंत में पीड़ित करना शुरू किया था लेकिन हमने मार्कन्डेय ऋषि की तरह कुछ अनुष्ठान से खुद को बचा लिया था. शनि मेरा बहुत बुरा नहीं कर पाया था. शनि की महादशा में राजेन्द्र दास बाबा कथावाचक ही तो बने ? और गोशाला के लिए दान मांगते फिरते हैं ? यह दुःख ही है कि आप मांग कर गोशाला, मठ या कुछ भी बना कर जीवन यापन कर रहे हैं और इसके एवज में युट्यूब पर घटिया कहानी परोस रहे हैं.
धन्य हो बाबा !