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सनातन हिन्दू धर्म में चार शंकराचार्य ही सबसे ऊपर विराजमान है. आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठ स्वयं में शक्ति पीठ हैं क्योंकि इन पीठों को सभी वशिष्ठ आदि महान गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त है. शंकराचार्य पूर्ण सन्यास धर्म पर चलते हैं और शास्त्रों से इतर कोई बात नहीं करते. शास्त्र और धर्म की मर्यादा की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. इन आचार्यों के द्वारा ही हिन्दू सुरक्षित है. नरेंद्र मोदी और आरएसएस के अधर्म का इन्होने अक्सर खुल कर विरोध किया है. राम मंदिर के भूमि पूजन से लेकर मन्दिर के उद्घाटन तक चारो शंकराचार्यों ने इनके राजनीतिक लाभ लेने की मंशा पर सवाल उठाये और अशास्त्रविहित पूजन तथा प्राणप्रतिष्ठा का विरोध किया. सभी शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा का वहिष्कार किया और वहां नहीं गये. जगन्नाथपुरी गोवर्धनमठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने योगी-मोदी द्वारा एक नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाये जाने पर कहा था इनका इस बार ‘राम नाम सत्य’ होगा. उन्होंने अशास्त्रविहित प्राण प्रतिष्ठा का विरोध किया और उसमे शरीक नहीं हुए. दूसरी तरफ ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी आगाह किया था कि अशास्त्रविहित प्राण प्रतिष्ठा से इन आयोजकों की हानि होगी और लोगो के लिए भी परेशानी और विपत्ति आ सकती है. हिंदुत्व श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या समेत उनसे सम्बन्धित सभी चित्रकूट, रामेश्वरम आदि तीर्थस्थलों में बुरी तरह हार गया.

अयोध्या में गुजराती बनियों के स्वार्थ के लिए सैकड़ों लोगों के घर गिरा दिए गये, जमीने हड़प ली गई और हजारों लोग दरबदर हो गये. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कराने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष नौकरशाह नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा श्रावस्ती से चुनाव हार गये. नरेंद्र मोदी किसी तरह इलेक्शन कमिशन की मदद से बनारस से चुनाव जीत पाया. मोदी चुनाव जीत सके इसके लिए 32 लोगों का नामांकन इलेक्शन कमिशन ने रद्द किया था. बनारस के पापी पंडों के वोट से मोदी किसी तरह चुनाव जीत पाया. अयोध्या मंडल और उत्तरप्रदेश मोदी चुनाव कई वजहों से हारा. जिस पुजारी ने बिना मुहूर्त के मुहूर्त दिया था उसे ज्योतिष का ज्ञान नहीं था. उसने प्राणप्रतिष्ठा के लिए निकाले गये लग्न का नवांश ही गलत निकाला, यह एक चर राशि का एक अशुभ नवांश था, साथ में मास रिक्त मास था और काल भी अशुभ था. इस कारण राम मन्दिर के उद्घाटन और उसके भव्य प्रोपगेंडा के बाद भी कोई राजनीतिक लाभ मोदी को नहीं मिला. यह वीडियो रामराज्य के बारे में सब कुछ कहता है –