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हनुमान जयंती या हनुमान जयंती प्रत्येक राज्य में परंपरा के अनुसार अलग अलग है. चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाया जाता है. अंजनेय जयंती तेलुगु कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह में प्रत्येक बहुला (शुक्ल पक्ष) दशमी को मनाती है. कर्नाटक में , हनुमान जयंती शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को, मार्गशीर्ष माह के दौरान या वैशाख में मनाई जाती है. हनुमान जयंती ओडिशा के पूर्वी राज्य में पना संक्रांति पर मनाई जाती है अर्थात ओडिया नव वर्ष पर मनाते हैं. इससे यह स्पष्ट है कि हनुमान के जन्म की कोई तिथि नहीं है, यह विश्वास के अनुसार राज्यों अलग अलग समय पर मनाई जाती है. हनुमान जी दास्य भक्ति के सबसे बड़े आदर्श हैं. राम भक्ति के लिए हनुमान का आशीर्वाद लेना पड़ता है. हनुमान की कृपा से ही राम के दर्शन होते हैं. हनुमान जी के भव्य मन्दिर भारत में हैं और मंगलवार उनका विशेस दिन है. मंगलवार को मन्दिर में उनके दर्शन के लिए ही लाइन लगी रहती है.

हिन्दू धर्म में रामायण के किरदार देश भर में प्रसिद्ध है जिनमे हनुमान जी अत्यंत प्रसिद्ध है और उनके मन्दिर बहुत ज्यादा हैं. स्कंद पुराण के अनुसार हनुमान की मां अंजना देवी ने पुत्र प्राप्ति के लिए ऋषि मतंग से संपर्क किया था. ऋषि ने उन्हें वेंकटचलम पर तपस्या करने की सलाह दी थी. कई वर्षों की तपस्या के बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई थी. जिस स्थान पर उन्होंने तपस्या की थी और जहां हनुमान का जन्म हुआ था, वह स्थान अंजनाद्री के नाम से प्रसिद्ध है. पंचांग के अनुसार 12 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती मनाई जायेगी.

हनुमान जयंती मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इस समापन 13 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव का पर्व 12 अप्रैल को मनाया जाएगा.

हनुमान जयंती पर हनुमान जी की विधि पूर्वक पूजा और हनुमान चलीसा का पाठ से ही हनुमान जी के दर्शन हो जाते हैं. हनुमान जी को लड्डू का भोग या मीठे रोटी को घी में मसल कर उसका का भोग लगाना चाहिए. शनि महादशा में हनुमान की पूजा से प्रकोप शांत होता है.