
पैराणिक बाबा मूलभूत रूप से दुराचारी रहे हैं. लेकिन अद्भुत रूप तो अब सामने आया है. चुम्बन लेने का यह रहा रामभद्राचार्य द्वारा अविष्कृत नया रामनामी उपाय. वैष्णवों की लीला वाले उपाय तो सभी जानते ही है. इन उपायों द्वारा इन कामाचारियों द्वारा धर्म का नाश ही हुआ है. सन्यासी बेचारे ब्रह्मचिन्तन तो अब करते नहीं, बिजनेस करते हैं; तो इस तरह के चुम्बन के उपाय कर सकते हैं. रजोगुणी-तमोगुण मिश्रित बनिया यह करे तो उसे पाप नहीं लगता क्योंकि वह उदर-शिश्न के मध्य निवास करता है. सन्यास धर्म पूर्णत: नाश को प्राप्त हो चूका है. सन्यास धर्म में अब लड़की को चिपका के पास रखते हैं. अभी सन्यास धर्म पर पूरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी ही चलते दिखते हैं. कोई नारी उनके स्थान से दस मीटर दायरे के भीतर प्रवेश नहीं करती, यही सन्यास धर्म है. भगवद्गीता में कहा है –
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।3.21।।
श्रेष्ठ मनुष्य जो-जो आचरण करता है, दूसरे मनुष्य वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण देता है, दूसरे मनुष्य उसीके अनुसार आचरण करते हैं।
खैर, ये रामभद्राचार्य द्वारा आविष्कृत उपाय काफी कारगर लगता है. यदि त्रिदंडी स्वामी इस तरह चुम्बन ले तो सर्वथा निष्पाप रहेगा. यह चुम्बन की विधि पब्लिकली आजमायी जा सकती है. वृद्धावस्था में चुम्मा लेने से भी मुक्ति हो सकती है, विशेषरूप से उनके लिए जिन्हें कभी चुम्बन नसीब नहीं हुआ है. एक ईसाई पादरी की कथा इससे सम्बन्धित है, कभी मौका मिला तो लिखेंगे.
ज्योतिष में चुम्बन योग भी होता है ….कहीं रामभद्राचार्य का चुम्बन योग तो नहीं चल रहा !