राममन्दिर का मुहूर्त देने वाला दक्षिणात्य पुजारी पंडित गणेश्वर शास्त्री के बारे में बताया जाता है कि इसके कई पुरखे मुहूर्त निकालने में विशेषज्ञ थे. मजेदार बात ये है कि इसने 22 जनवरी 2024 को भारत के किसी पंचांग में कोई मुहूर्त नहीं था लेकिन तब भी इसने मुहूर्त निकाल दिया था. ऐसी वीडियो भी सामने आई थी जिसमे इसने कहा कि ऊपर से दबाव था की जनवरी में ही मुहूर्त चाहिए जबकि फरवरी तक कोई मुहूर्त नहीं था, लेकिन हमने उसमे से जो बेहतर हो सकता था वह मुहूर्त दिया है. सवाल ये है कि मुहूर्त नहीं था तो मुहूर्त कैसे दे सकता था? दूसरे कोई औरंगजेब का हमला भी नहीं हुआ था कि इमर्जेसी थी कि अधूरे मन्दिर में बिना मुहूर्त के ही प्राणप्रतिष्ठा की जाये? मुहूर्त नहीं था क्योंकि पौष महीने को शून्य मास कहा गया है और प्राणप्रतिष्ठा के लिए अशुभ भी बताया गया है इसलिए उसमे कोई शुभ मुहूर्त की सम्भावना नहीं है. अब एक अभिजित मुहूर्त बच गया जो यूजलेस है क्योंकि यह नक्षत्र अब प्रभावशाली नहीं है. दूसरे इसका शुभत्व भी शुभ मास-तिथि पर ही निर्भर करता है. अब मुहूर्त के बाद ज्योतिष की बात आती है जिसके अंतर्गत इस ब्राह्मण ने 12:30 पीएम 14 सेकंड का मुहूर्त बताया था जिसमे मेष लग्न और तुला नवांश था.

ज्योतिष शास्त्र में प्राण प्रतिष्ठा या नव निर्मित मन्दिर में चर लग्न वर्जित किया गया है. वसिष्ठ का कहना है कि चर लग्न में भूलकर भी गृह या मन्दिर प्रवेश न करे. दूसरे क्रूर नवांश शुभ नहीं होता वो भी लग्न के अष्टम भाव का नवांश. ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार अष्टम भाव का नवांश उदित हो तो विनाशक माना गया है. मन्दिर प्रवेश और प्रतिष्ठा के लिए मृगशिरा का फल उद्वेग बताया गया है (त्रिभिस्त्रिभिर्वास्तुनि कृत्तिकात उद्वेगपुत्राप्तिधनाप्तिशोक:..) ऐसे में यह मुहूर्त विशेषज्ञ इसको शुभ कैसे कह सकता है?. यह देश के लिए और देश की जनता के लिए विनाशक मुहूर्त और लग्न-नवांश है.

कुंडली का विश्लेषण हमने छोड़ दिया है. चंद्रमा से बृहस्पति शुभ स्थान में होना चाहिए जबकि यह द्वादश है.

