यह कुछ छोटे छोटे उपाय हैं जो कारगर हैं. इन उपायों को करने से अनेक प्रकार के दोष निवृत्त हो जाते हैं. ग्रह जनित बाधाओं या अन्य बाधाओं के लिए सम्बन्धित ग्रहों और देवताओं का अनुष्ठान, पूजन, दान इत्यादि करना चाहिए. ग्रहों द्वारा जनित रोग भी अत्यंत प्रबल होते हैं जिसका मेडिकल में इलाज सम्भव नहीं होता, ऐसे में शास्त्रीय विधि से देव पूजन अनुष्ठान करवाना चाहिए. ब्राह्मण भोजन करवाना भी एक बहुत बड़ी रेमिडी है.
1-अनिष्ट स्थान में मंगल हो तो हर मंगलवार दुर्गा की स्कन्द के साथ छह प्रकार के रस के व्यंजनों से विधि पूर्वक पूजा करें और ब्राह्मण भोजन कराएँ.
2-यदि गुरु अनिष्ट स्थान में हो और पाप फल प्रद हो , सन्तान बाधा करता हो तो भगवान विष्णु की गुरु बृहस्पति रूप में विधि पूर्वक पूजा हर गुरुवार को साल भर करना चाहिए और साल के अंत में 1000 हजार ब्राह्मणों को दान के साथ भोजन कराना चाहिए.
३-राहु कन्या, मिथुन, मीन, धनु राशि में हो और अनिष्ट स्थान में हो तो शिव पूजन पूर्वक 5 तोला चांदी के नागों का जोड़ा पंचमी, गुरुवार या बुधवार को शिव मन्दिर में दान करना चाहिए.
4-सूर्य यदि अनिष्टकारक हो , खराब स्थान में हो , पाप ग्रह से पीड़ित हो तो वर्ष में एक बार तीर्थ में पितरों के लिए पिंडदान करना चाहिए. रविवार को मिष्ठान्न का दान करना भी सूर्य के दोष की शांति के लिए अच्छा है.
5-चन्द्रमा यदि पाप ग्रह से पीड़ित हो तो प्रेत बाधा होती है. उन जातकों पर अभिचार, कृत्या इत्यादि हो जाता है. इसके लिए घर में हर सोमवार को कीर्तन का आयोजन करना चाहिए और अमावस्या को पिंडदान करना चाहिए.
6-घर में प्रेत बाधा या अशांति हो तो घर में सपरिवार, स्त्रियों को पड़ोस से बुलाकर जगराता करना चाहिए. या हनुमान जी की पूजा के साथ हर मंगलवार को परिवार के सदस्यों को मिलकर सस्वर सुंदर काण्ड का पाठ करना चाहिए.

