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वैदिक ज्योतिष में ग्रहण योग को एक बेहद अशुभ योग माना गया है. सभी जानते हैं ग्रहण दो प्रकार के होते हैं -सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण. जन्म कुंडली में ग्रहण योग उस स्थिति में बनता है जब कुंडली के द्वादश भावों में से किसी भाव में सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ राहु व केतु में से कोई एक साथ बैठा हो. सूर्य या चन्द्रमा के घर में भी राहु केतु में से कोई मौजूद हो तब भी उसे ग्रहण योग कहते हैं. यदि कुंडली में इनमें से किसी प्रकार की स्थिति बन रही है तो इसे ग्रहण योग कहेंगे. यह पूर्णिमा के आसपास जन्म से बनता है. दूसरा ग्रहण योग अमावस्या के समय बनने वाला ग्रहण योग है. अमावस्या में सूर्य-चन्द्र साथ होते हैं साथ में राहु होता है. सूर्य से बना ग्रहण योग ज्यादा खराब माना गया है जब यह अमावस्या के आसपास बनता है. सूर्यग्रहण योग जिस भाव में लगता है उस भाव से संबंधित विषय में यह अशुभ प्रभाव डालता है. जिस प्रकार से सूर्य ग्रहण लग जाने पर सर्वत्र अंधकार फैल जाता है और चन्द्रमा को ग्रहण लगने पर उसकी चांदनी नहीं रहती है. उसी प्रकार ग्रहण दोष से जीवन में बनता हुआ काम अचानक रूक जाता है, अनेक प्रकार की कठिनाईयों का प्राकट्य होने लगता है और जीवन में अंधकार फ़ैल जाता है. जिस भाव में ग्रहण होता है उस भाव का शुभ फल नष्ट हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र की नजर में ग्रहण योग अशुभ माना गया है. ग्रहण दोष के निम्नलिखित दुष्प्रभाव देखे जाते हैं –

1-ग्रहण के दुष्प्रभाव में व्‍यक्ति परेशान रहता है. उस पर अनेक प्रकार के दोष लगते हैं और वह भी दूसरों पर दोष लगाता रहता है.

2- जातक पर हर प्रकार से भारी समस्‍याएं आ जाती हैं और अक्सर काफी विनाशक भी होती हैं. जातक को मानसिक बीमारी, उद्दिग्नता और स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बंधी अनेक परेशानियाँ भी आती हैं.

3- सूर्य और चंद्र ग्रहण दोष के कारण व्यक्तिगत सफलता, शोहरत और नाम का खराब होना, समाजिक असम्मान और जेल की प्राप्ति होती है. इस दोष से जातक को जीवन के समग्र विकास में बाधाओं का सामना करना पड़ता है.

4-स्त्री जातक की कुंडली में योग होने पर बार-बार गर्भपात, दोषपूर्ण पुत्र की उत्पत्ति और सन्तान से संबंधित अनेक प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है.

5- ग्रहण दोष से जातक अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को भी झेलता है. सूर्य स्वास्थ्य कारक है, उसके दूषित होने से स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है. चंद्र दोष के बुरे प्रभावों में ये जातक अनावश्यक तनाव का सामना करते रहते हैं. इस दोष के छाती, फेफड़े, सांस लेने की समस्या और मानसिक अवसाद से संबंधित समस्याओं को झेलना पड़ता है.

6- ग्रहण दोष के जातकों की प्रवृत्ति अक्सर आत्म विनाशकारी होती है. अक्सर ये जातक आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं जबकि अनेक जातक काफी क्रूर बन जाते हैं. इन जातकों में हत्या करने की प्रवृत्ति भी पाई जाती है. अनेक कुर नाजियों की कुंडली में ग्रहण दोष था.

7-ग्रहण दोष से पीड़ित जातको के माता, पुत्री-पुत्र और बहनें भी अनेक प्रकार की समस्याओं में फंस जाती हैऔर दुःख को प्राप्त करती हैं.