गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का पर्व 2 नवंबर के को मनाया जायेगा. गोवर्धन पूजा दिवाली के ठीक बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को पड़ती है. प्रतिपदा तिथि 2 नवम्बर को सुबह ख़त्म हो रही है इसलिए 2 नवम्बर को ही गोवर्धन पूजा होगी. गोवर्धन पूजा का पर्व वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन ब्रज क्षेत्र में इसका विशेष महत्व है. ब्रज क्षेत्र में गोवर्धन पूजा बहुत बृहद होता है और धूमधाम से मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा प्रमुख रूप से महिलाएं और कन्याएं ही सम्पादित करती हैं.
ऐसी मान्यता है कि इसदिन इंद्र का घमंड चूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था. उन्होंने गोवर्धन को सात दिन तक उठाया था. इस दौरान उन्होंने भोजन ग्रहण नहीं किया था. इस बीच ब्रजवासियों ने सभी की खाद्य सामग्री को मिलाकर और बांटकर खाया ताकि सभी को भोजन मिल सके और गाय के दूध, दही और छाछ का इस्तेमाल करके गुजारा किया. जब पर्वत को उतारा था तो मां यशोदा ने उन्हें एक दिन के 6 प्रकार के हिसाब से सात दिन के 56 भोग बनाकर खिलाए थे, इसलिए भगवान को 56 भोग लगाने की प्रथा है. इस पूजा के दौरान पूजा करने वाले प्रकृति से प्राप्त मौसम की सभी सब्जियों आदि को मिलाकर अन्नकूट बनाकर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज को इसका भोग लगाते हैं. इसके अलावा दही या छाछ से कढ़ी बनाकर और इसके साथ अन्न के रूप में चावल बनाकर भगवान को समर्पित करते हैं.

गोवर्धन पूजा मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा और इस तिथि का समापन 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा. ऐसे में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर, शनिवार के दिन की जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के समय 3 बजकर 23 मिनट से 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा.

