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गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का पर्व मंगलवार 14 नवम्बर को मनाया जायेगा. गोवर्धन पूजा दिवाली के ठीक बाद कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को पड़ती है. गोवर्धन पूजा का पर्व वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन ब्रज क्षेत्र में इसका विशेष महत्‍व है. ब्रज क्षेत्र में गोवर्धन पूजा बहुत बृहद होता है और धूमधाम से मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा प्रमुख रूप से महिलाएं और कन्याएं ही सम्पादित करती हैं.

ऐसी मान्यता है कि इसदिन इंद्र का घमंड चूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था. उन्होंने गोवर्धन को सात दिन तक उठाया था. इस दौरान उन्होंने भोजन ग्रहण नहीं किया था. इस बीच ब्रजवासियों ने सभी की खाद्य सामग्री को मिलाकर और बांटकर खाया ताकि सभी को भोजन मिल सके और गाय के दूध, दही और छाछ का इस्‍तेमाल करके गुजारा किया. जब पर्वत को उतारा था तो मां यशोदा ने उन्हें एक दिन के 6 प्रकार के हिसाब से सात दिन के 56 भोग बनाकर खिलाए थे, इसलिए भगवान को 56 भोग लगाने की प्रथा है. इस पूजा के दौरान पूजा करने वाले प्रकृति से प्राप्‍त मौसम की सभी सब्जियों आदि को मिलाकर अन्‍नकूट बनाकर भगवान श्रीकृष्‍ण और गोवर्धन महाराज को इसका भोग लगाते हैं. इसके अलावा  दही या छाछ से कढ़ी बनाकर और इसके साथ अन्‍न के रूप में चावल बनाकर भगवान को समर्पित करते हैं. 

गोवर्धन पूजा के लिए घर के आंगन में  गाय के गोबर से लेटे हुए गोवर्धन और गोवर्धनी(पत्नी) को बनाया जाता है. गोवर्धन को फूल, पत्ती, टहनीयो एवँ गाय की आकृतियों से सजाया जाता है. इस प्रकार सजाकर दीप, नैवेद्य, फल अर्पित किया जाता है. गाँवों में पांच सुहागिनें गीत गाती हैं और उन्हें मूसल से कूटती भी हैं. इसको भाईदूज से भी जोड़ा जाता है. पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन पूजा और गायों को गुड़ चना खिलाने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं.

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर होगी और अगले दिन 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर इसका समापन होगा.
गोवर्धन पूजा – मंगलवार, 14 नवंबर 2023
पूजा का शुभ मुहूर्त- 06:43 से 08:52 तक