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गर्ग संहिता खंड १ अध्याय बारह में नौ ग्रहों के कृष्ण जन्म पर नन्द के घर जा कर भगवान कृष्ण के दर्शन करने का वर्णन है. संहिता के अनुसार जिन जिन वाहनों पर सवार होकर वे ब्रज आये थे वो कुछ इस प्रकार से है –

रथारूढ़ो रवि: – सूर्य रथ पर सवार होकर आये
मृगारुढ: क्षपेश्वर: – चन्द्रमा श्वेत मृग पर आरूढ़ होकर आये
मंगलोबानरारुढ़ो – मंगल बन्दर पर सवार होकर आये ( बकरा अग्नि की सवारी कहा गया है )
भासारुढ़ो बुध: – बुध भास नामक पक्षी की सवारी करके आये
गीष्पपति:कृष्णसारथ्य:- बृहस्पति काले मृग पर सवार होकर आये
शुक्रोगवयवाहन: – शक्र नील गाय की सवारी कर के आये
शनिश्चमकरारूढ़ो- शनि मकर पर आरूढ़ हो कर आये
उष्ट्रस्थ:सिंहिका सुत: – राहु ऊंट पर सवारी करके आये

ये वर्णन आधुनिक समय में ग्रहों के जो विग्रह बनाये गये हैं उससे एकदम अलग है. ऐसा प्रतीत होता है कि गर्ग संहिता के समय तक ग्रहों की मूर्ति और मन्दिर इत्यादि नहीं होते थे, उनका पूजन मान्त्रिक ही मंडल में स्थापना करके हुआ करता था. गर्गाचार्य द्वापर से पूर्व ऋग्वेदकालीन ऋषि हैं. गर्ग संहिता का संस्कृत भी काफी प्राचीन है.