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नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेता, कार्यकर्ता तथा मूर्खों की आईटी सेल अब खुद को डिफेंड भी नहीं कर पा रहा है और खुद को फेल समझ कर प्रचार में स्कूल के बच्चों का भी उपयोग कर रहे है. मोदी तो स्कूल के छोटे बच्चो को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने नहीं चूके हैं. भाजपा का यह पतन है. बनियों के लिए कार्य करने वाली ऐसी पार्टियाँ देश का भविष्य बर्बाद करने के लिए अस्तित्व में आती हैं. आज गलगोटिया यूनिवर्सिटी के छात्रों का मामला प्रकाश में आया जिससे यह प्राइवेट स्कूल एक्सपोज हो गया है. इस प्राइवेट यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए मोटा डोनेशन लिया जाता है और फ़ीस भी मोटी वसूली जाती है. गलगोटिया जैसे महंगे स्कुलो में निम्न मध्यवर्ग के लड़के लडकियाँ नहीं पढ़ सकते, इसमें उस मध्य वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं जो आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति में हैं. इनके माता पिता अधिकारी, इंजीनियर, डॉक्टर, बिजनेस इत्यादि पेशे में रहते हैं जो अच्छा पैसा कमाते हैं.

गलगोटिया यूनिवर्सिटी के क्षात्र आज दिल्ली में बीजेपी के पक्ष में प्रोटेस्ट करने आये लेकिन वे किस लिए प्रोटेस्ट करने आये थे, उन्हें यह भी पता नहीं था. जो तख्तियां ये छात्र लिए हुए थे उसका मतलब भी नहीं जानते थे और न उन तख्तियों पर लिखे अक्षर पढ़ पा रहे थे. गलगोटिया यूनिवर्सिटी की बहुत महंगी फीस है. भारत के इस बड़े मध्यवर्ग के पेरेंट्स को सोचना चाहिए कि वो कैसी यूनिवर्सिटी में अपने बच्चों को भेज रहे हैं!

प्राचीन भारत में ऋषि-मुनि शिक्षा के व्यवसायीकरण के खिलाफ थे. मनुस्मृति में शिक्षा देने वाले ब्राह्मणों को शिक्षा को बेचने के प्रति आगाह किया गया है और इसे पाप कर्म की श्रेणी में गिना गया है. शिक्षा का बाजारीकरण होने से यह क्रमश: जनता की पहुंच से बाहर चली गई है. वर्तमान समय में किसी निम्न मध्यवर्ग के माता पिता अपने बच्चों को एक अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा सकते हैं, निम्न वर्गों की तो बात ही क्या है ! मेडिकल की प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फ़ीस 1 करोड़ है. इसी प्रकार गलगोटिया जैसी यूनिवर्सिटी की फ़ीस भी बहुत मोटी है और शिक्षा का स्तर नीचे दिए गये वीडियो से समझ सकते हैं.