चतुर्थेश या 4th लार्ड का भावों में फल मानसागरी के अनुसार है. यह इसलिए दिया गया है कि कुछ भावों का फल कभी सही बैठता है. चतुर्थेश का नवम और दशम का फल काफी सही है.
4th house lord यदि लग्न में हो तो पिता माता से प्रेम करता है, पिता के कुल में श्रेष्ठ होता है, पिता के नाम को रोशन करता है. यदि पाप ग्रह के साथ हो तो उदिग्न और कार्य में सफल नहीं होता.
4th house lord यदि दूसरे घर में हो तो पिता का विरोधी, शुभ ग्रह हो तो नहीं होता. वह पिता की सम्पत्ति का भोग करने वाला होता है.
4th house lord यदि तीसरे में हो तो जातक माता पिता से कलह करता है यदि पाप ग्रह हो, यदि गुरु, शुक्र आदि शुभ ग्रह हों तो भक्त होता है. लेकिन पिता के भाइयो से नफरत करता है. पाप ग्रह हो तो घातक होता है.
4th house lord यदि 4थे में ही हो तो पिता को सरकार से लाभ और सम्मान मिलता है. जातक पिता के लिए लाभकारी, प्रसिद्ध, धर्म करने वाला और घर गाड़ी वाला सुखी रहता है.
4th house lord यदि 5th में हो तो जातक पिता के धन का सदुपयोग करने वाला , काम में प्रसिद्द, पुत्र वाला और परिवार का पालक होता है.
4th house lord यदि 6वे में हो वह माता के धन को नष्ट करता है. यदि पाप ग्रह 4th लार्ड हो ती उसका पिता छिद्रान्वेषी होता है. शुभ ग्रह हो तो धन संचय करता है.
4th house lord यदि सप्तम में है और पाप ग्रह है तो उसकी स्त्री ससुर को कष्ट देती है. यदि मंगल और शुक्र हो तो वह कुलीन होती है.
4th house lord यदि अष्टम में है तो जातक क्रूर, रोगी, मारने मारने के लिए उद्धत रहता है.
4th house lord यदि 9वे में है तो जातक पिता से दूर रहने वाला, सभी विद्याओं का ज्ञानी, धर्म पर चलने वाला होता है और पिता की अपेक्षा नहीं करता.
4th house lord यदि दसवे में है और वह पाप ग्रह है तो उसका पिता माता को त्याग देता है. यदि यह शुभ ग्रह ( शुक्र, गुरु, बुध, बलवान चन्द्र्मा) हो तो वह दुसरो का पालक, परोपकारी और कर्म से सब अर्जित करने वाला होता है.
4th house lord यदि 11th में है तो जातक धर्मात्मा, परिजनों का पालक, सत्कर्म करने वाला, दीर्घायु, रोगहीन होता है.

