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किसी गोचर में किसी को क्या मिलेगा यह जातक की दशाओं पर ही निर्भर करता है. अलबर्ट आइन्स्टीन महान वैज्ञानिक थे जिनके सिद्धांत क्रन्तिकारी सिद्ध हुए. उनका समीकरण  E=mc2 और जनरल रिलेटिविटी का सिद्धांत ने विज्ञान को बदल दिया. यदपि कि परमाणु बम केवल उनके सिद्धांत के आधार पर नहीं बनाया गया था फिर भी यह सिद्धांत उसका आधार अवश्य था. आइंस्टीन ने पहले परमाणु बम निर्माण की मैनहट्टन परियोजना पर कभी सीधे काम नहीं किया लेकिन इस प्रोजेक्ट को शुरू करवाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी.

आइन्स्टीन ने अपने प्रसिद्ध जनरल रिलेटिविटी के सिद्धांत को प्रख्यापित किया और उसके लिए ही उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला. आइन्स्टीन एक दार्शनिक वैज्ञानिक थे और काफी संत स्वभाव के मनुष्य थे. विश्व बन्धुत्व, उदारवाद और विश्व शांति के प्रवक्ता थे. जब आइंस्टीन के दसम भाव स्थित सूर्य की महादशा शुरू हुई तो उन्हें विश्वप्रसिद्धि मिली और वे सेलिब्रेटी वैज्ञानिक बने. उनकी सूर्य महादशा और बुध की अन्तर्दशा में उनका सिद्धांत general relativity सिद्ध हुआ. उस समय सूर्यग्रहण में बुध के ट्रांजिट में जब बुध सूर्य के सबसे नजदीक से गुजर रहा था तब यह सिद्धांत प्रूव हुआ जिससे आइन्स्टीन को विश्व में ख्याति मिली और विज्ञान में एक क्रांति का सूत्रपात होता है.

ग्रह अपनी दशा में अपने कारकत्व के अनुसार भी फल करते हैं. सूर्य की महादशा होने से यह पता चला कि दूरस्थ तारों का प्रकाश सूर्य के फोटोस्फीयर से आंशिक रूप से मुड जाता है. इस प्रयोग में यह भी सिद्ध हुआ कि बुध ग्रह का एक्सियल प्रोसेशन हर शताब्दी में (574.10 ± 0.65)″ है. आइन्स्टीन के सिद्धांत ने यह भी स्पष्ट किया कि दो ग्रह पिंड एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं तब वे गुरुत्वाकर्षण कीऊर्जा का क्षरण करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप जो कम मॉस का ग्रह धीरे धीरे अपनी कक्षा की हानि करेगा और अंतत: जिस बड़े मास कि परिक्रमा कर रहा है वह उस बड़े मॉस का हिस्सा बन जाएगा. यह सिद्धांत ही गैलेक्सियों के टकराने और छोटी गैलेक्सी का बड़े में मिल जाने का सिद्धांत का आधार है.