
वेद, उपनिषद और पुराण में पृथ्वी से परे अन्यान्य लोकों की अनेकानेक कथाएँ प्राप्त होती हैं. ऐसी कथाएँ भी प्राप्त होती हैं जिनमे ऋषि पृथ्वी लोक जिसे मर्त्य लोक कहते हैं, यहाँ से अनेक लोकों में आते जाते रहते थे. अन्यान्य लोकों से देवता भी पृथ्वी लोक पर आते थे. पृथ्वी लोक पर अनेक विद्याएँ अन्यान्य लोकों से देवताओं द्वारा प्राप्त हुईं हैं. कठोपनिषद की ब्रह्म विद्या यमलोक में नचिकेता को प्राप्त हुई थी, महर्षि भृगु को तैतिरीय उपनिषद की ब्रह्म विद्या वरुण लोक से प्राप्त हुई थी. महाभारत में अर्जुन इंद्र लोक में जाकर इंद्र से विद्याएँ और अस्त्र प्राप्त करता है. महर्षि नारद लोक लोकान्तरों में भ्रमण करते रहते हैं. विश्व की अन्य प्राचीन संस्कृतियों में भी परे के लोक लोकान्तरों की कथाएं बहुतायत में प्राप्त होती हैं. प्राचीन मिश्र की संस्कृति लोक-लोकान्तरों पर आश्रित ही थी, उनके पिरामिड लोक-लोकान्तरों के विश्वास पर ही निर्मित किये गये थे.
आधुनिक युग में यह विश्वास और सशक्त होता गया और परे के लोकों के निवासी एलियन पृथ्वी पर भटकते देखे जाने लगे. यह रूस-अमेरिका के शीतयुद्ध के समय बहुत तेजी से सामने आया और हिटलर ने तो एलियंस के यान तक बनाने का दावा कर दिया था. अभी हालिया में पिछले महीने अमेरिकी कांग्रेस ने ‘एलियन्स” पर एक बड़ी मीटिंग बुलाई थी जिसमे नासा से सारी गुप्त फाइलों को सामने रखने को कहा गया था. ऐसा विश्वास किया जाता है कि रूस या अमेरिका में से किसी के पास एलियन्स से सम्बन्धित कुछ विशेष जानकारी है. या पब्लिक को मूर्ख बनाने की यह एक बुर्जुआ चालबाजी भी हो सकती है.
अब आधुनिक एस्ट्रोनॉमी के वैज्ञानिक इस बात पर एकमत हो चुके हैं कि अन्यान्य लोको की मौजूदगी से इंकार नहीं किया जा सकता है. अमेरिकी एजेंसी नासा के आंकड़ों के अनुसार अब तक 4,096 अलग अलग हमारे ग्रहीय प्रणाली (प्लेनेटरी सिस्टम ) की तरह के ही प्लेनेटरी सिस्टम खोजे जा चुके हैं और कमसे कम 5,496 बहिर्ग्रह (exoplanets) खोजे जा चुके हैं जो किसी न किसी प्लेनेटरी सिस्टम का हिस्सा हैं. एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह हैं जो अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं और हमारे सौरमंडल से अलग हैं. कुछ एक्सोप्लेनेट बृहस्पति ग्रह से 30 गुना बड़े हैं. पृथ्वी से सबसे नजदीक का एक्सोप्लेनेट सूर्य के पड़ोसी तारे प्राक्जिमा सेंटरी का ग्रह है जो लगभग 4 प्रकाशवर्ष दूर है. एक्सोप्लेनेट का हिंदी में इनका बड़ा अटपटा अनुवाद बहिर्ग्रह या ग़ैर-सौरीय ग्रह किया गया है. हमारे सौर मंडल के जितने ग्रह हैं वो लगभग खोजे ही जा चुके हैं.

अब अपने सौर मंडल से बाहर किसी पृथ्वी की मौजूदगी की खोज जारी है. खोजे गये इन 5,496 बहिर्ग्रह (exoplanets) को सिर्फ देखा भर गया है और थोड़ा बहुत कुछ ग्रहों के स्वरूप की जानकारी है और कुछ स्पेकुलेशन भी किया जा रहा है. उनमे क्या कोई पृथ्वी की तरह का ही कोई बहिर्ग्रह (exoplanets) हो सकता है? या इनसे बहार अर्थात अन्य लोकाको में क्या कोई पृथ्वी जैसे ग्रह की मौजूदगी हो सकती है? इसकी सम्भावना से अब इनकार नहीं किया जा सकता है. आधुनिक एस्ट्रोनॉमी के अनुसार यदि वर्तमान तारों की संख्या के आंकड़े को देखा जाए तो लगभग 11 बिलयन पृथ्वी जैसे ग्रहों की सम्भावना है जहाँ पृथ्वी जैसा ही जीवन पूर्ण रूप से विकसित हो सकता है.