
एक पौराणिक कथा के अनुसार परशुराम जी और भगवान गणेश का कैलाश पर युद्ध हुआ जिसमे परशुराम के फरसे से गणेश जी का दांत टूट गया इसलिए उन्हें एकदंत कहा जाने लगा. ज्येष्ठ मास की चतुर्थी को एकदंत गणेश चतुर्थी कहा जाता है. हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए विहित है. इस दिन भगवान गणेश की श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना करने पर जीवन के सभी संकटों का नाश होता है. इस बार की ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस बार यह 16 मई को है. पुराणों में कहा गया कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विधिवत गणेश की पूजा करनी चाहिए इससे सभी कामनाओं की पूर्ति होती है.
कृष्णपक्षे चतुर्थ्यां तु व्रतं यत् क्रियते नरैः ।
तवोदयेऽहं पूज्यस्त्वं पूजनीयः प्रयत्नतः ॥
गणेश की इन दो मन्त्रो से ही समस्त पूजा की जा सकती है-
1.ॐ गं गणपतये नमः
2.एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्
एकदंत गणेश चतुर्थी मुहूर्त –
वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 मई शुक्रवार को सुबह 04:03 बजे शुरू हो रही है, जो कि अगले दिन 17 मई शनिवार को सुबह 05:13 बजे तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार एकादंता संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 मई को रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है. 16 मई को चंद्रोदय रात 10:39 पी एम पर होगा. इस काल में चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं.