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एक पौराणिक कथा के अनुसार परशुराम जी और भगवान गणेश का कैलाश पर युद्ध हुआ जिसमे परशुराम के फरसे से गणेश जी का दांत टूट गया इसलिए उन्हें एकदंत कहा जाने लगा. ज्येष्ठ मास की चतुर्थी को एकदंत गणेश चतुर्थी कहा जाता है. हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए विहित है. इस दिन भगवान गणेश की श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना करने पर जीवन के सभी संकटों का नाश होता है. इस बार की ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को है. पुराणों में कहा गया कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विधिवत गणेश की पूजा करनी चाहिए इससे सभी कामनाओं की पूर्ति होती है.

कृष्णपक्षे चतुर्थ्यां तु व्रतं यत् क्रियते नरैः ।
तवोदयेऽहं पूज्यस्त्वं पूजनीयः प्रयत्नतः ॥

गणेश की इन दो मन्त्रो से ही समस्त पूजा की जा सकती है-

1.ॐ गं गणपतये नमः
2.एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्

एकदंत गणेश चतुर्थी मुहूर्त –

वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई (रविवार) को दोपहर 06 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इसका समापन 27 मई को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. चंद्रोदय को देखते हुए एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को रखा जाएगा. ज्येष्ठ महीने की एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा के दो शुभ मुहूर्त हैं- पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 8 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक का है और दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 12 मिनट से रात 9 बजकर 45 मिनट तक का है. संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है. 26 मई को चंद्रोदय रात 10:12 पी एम पर होगा. इस काल में चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं.