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हिन्दू धर्म के सभी सम्प्रदाय अपने अपने देवता के नाम से मुक्ति बताते हैं. वैष्णव राम नाम, हरे कृष्ण से, शैव सम्प्रदाय शिव के नाम से, गणपति सम्प्रदाय “गं गं” करने से या गणपति बप्पा बोलने से मुक्ति बताते है. अब केवल एक ही नाम परब्रह्म का हो सकता है और मुक्ति उसी से होती है. ऐसे में इन नामों से मुक्ति कैसे होगी? तब तो मुक्ति किसी नाम से हो सकती है? सभी नामों में दुर्गा नाम सबसे शक्तिशाली है और देवी सहस्रनाम सबसे शक्तिशाली है, ऐसे में ज्यादा मुक्ति की सम्भावना इससे हो सकती है.

शिवोवाच

शृणु देवी वररोहे ममैव निश्चयं वाचः।
बिना दुर्गा परिज्ञानाददोषं पूजनं जपः।।

भगवान शिव ने कहा- “हे वररोहे! हे देवी! मेरी बातें ध्यान से सुनो। श्री दुर्गा को जाने बिना सारी पूजा और जप निष्फल हैं।”

दुर्गा हि परमो मंत्रो दुर्गा हि परमो जपः।
दुर्गा हि परमं तीर्थं दुर्गा हि परम क्रियां।।

“‘दुर्गा’ सबसे महान मंत्र है, ‘दुर्गा’ सबसे महान जप है; ‘दुर्गा’ सबसे महान तीर्थ है, ‘दुर्गा’ सबसे महान क्रिया है। ‘दुर्गा’ सबसे महान भक्ति है, ‘दुर्गा’ सबसे महान मुक्ति है।”

दुर्गा हि परमा भक्ति दुर्गामूर्तिमहितेले।
बुद्धिर्निद्रा क्षुधा छाया शक्तितृष्णा तथा क्षमा।।

दया तुष्टिश्च पुष्टिश्च शांतिर्लक्ष्मीर्मतिश्च या।।
दुर्गास्मरणजं देवी दुर्गा स्मरणं फलम्।

दुर्गाया स्मरणेनैव किं न सिद्ध्यति भूतले।।

“दुर्गा बुद्धि, निद्रा, क्षुधा, छाया, तृष्णा, क्षमा, दया, तुष्टि, पुष्टि, शांति, लक्ष्मी और मति है। हे देवी! मैं श्री दुर्गानाम स्मरणम के लाभों का गुणगान करने में असमर्थ हूँ; श्री दुर्गा का स्मरण करने से ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे प्राप्त करना कठिन हो।”

शैवो वा वैष्णवो वापि शक्तो वा गिरिनन्दिनी।

तत्क्षणाद्देवदेवेशि मुच्यते भव बन्धनात्।।

विष्णुनाम सहस्रेभ्योह्यधिकं भगवानि।

दुर्गानाम समाख्यातं चतुर्वेदविदंमतम्।।

“शैव, वैष्णव या शाक्त – जो भी श्री दुर्गा का स्मरण करता है, वह संसार से मुक्त हो जाता है। हे परमेश्वरी! चारों वेदों में वर्णित है कि श्री दुर्गानाम का एक बार जप/स्मरण, विष्णुनाम के एक हजार बार जप/स्मरण से भी अधिक है।”

हरिनाम्नः परं नास्ति वैष्णवानामिदं स्मृतम्।

तदृशाञ्च मते ज्ञेयं दुर्गानाम ततोहदिक।।

श्रद्धाश्रद्धया वापि यः कश्चिन्मानवः स्मरेत्।

दुर्गा दुर्गशतं तीरत्त्वा सयति परमं गतिम्।।

“वैष्णवों के हरिनाम से बढ़कर कुछ नहीं है; परन्तु श्री दुर्गानाम तो हरिनाम से भी बढ़कर है। आदर से या तिरस्कार से – जो कोई श्री दुर्गा का स्मरण करता है, वह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है, तथा परमपद को प्राप्त करता है।”

इसलिए जान लो कि माँ दुर्गा रामचन्द्र से भी श्रेष्ठ हैं और श्री दुर्गानाम हरिनाम से भी महान है. इसलिए भुक्ति और मुक्ति के लिए सदैव श्री दुर्गानाम का जाप करें.

. श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामावली ( 108 NAME OF DURGA)
ॐ श्रियै नमः ।
ॐ उमायै नमः ।
ॐ भारत्यै नमः ।
ॐ भद्रायै नमः ।
ॐ शर्वाण्यै नमः ।
ॐ विजयायै नमः ।
ॐ जयायै नमः ।
ॐ वाण्यै नमः ।
ॐ सर्वगतायै नमः ।
ॐ गौर्यै नमः । १०
ॐ वाराह्यै नमः ।
ॐ कमलप्रियायै नमः ।
ॐ सरस्वत्यै नमः ।
ॐ कमलायै नमः ।
ॐ मायायै नमः ।
ॐ मातंग्यै नमः ।
ॐ अपरायै नमः ।
ॐ अजायै नमः ।
ॐ शांकभर्यै नमः ।
ॐ शिवायै नमः । २०
ॐ चण्डयै नमः ।
ॐ कुण्डल्यै नमः ।
ॐ वैष्णव्यै नमः ।
ॐ क्रियायै नमः ।
ॐ श्रियै नमः ।
ॐ ऐन्द्रयै नमः ।
ॐ मधुमत्यै नमः ।
ॐ गिरिजायै नमः ।
ॐ सुभगायै नमः ।
ॐ अम्बिकायै नमः । ३०
ॐ तारायै नमः ।
ॐ पद्मावत्यै नमः ।
ॐ हंसायै नमः ।
ॐ पद्मनाभसहोदर्यै नमः ।
ॐ अपर्णायै नमः ।
ॐ ललितायै नमः ।
ॐ धात्र्यै नमः ।
ॐ कुमार्यै नमः ।
ॐ शिखवाहिन्यै नमः ।
ॐ शाम्भव्यै नमः । ४०
ॐ सुमुख्यै नमः ।
ॐ मैत्र्यै नमः ।
ॐ त्रिनेत्रायै नमः ।
ॐ विश्वरूपिण्यै नमः ।
ॐ आर्यायै नमः ।
ॐ मृडान्यै नमः ।
ॐ हीङ्कार्यै नमः ।
ॐ क्रोधिन्यै नमः ।
ॐ सुदिनायै नमः ।
ॐ अचलायै नमः । ५०
ॐ सूक्ष्मायै नमः ।
ॐ परात्परायै नमः ।
ॐ शोभायै नमः ।
ॐ सर्ववर्णायै नमः ।
ॐ हरप्रियायै नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।
ॐ महासिद्धयै नमः ।
ॐ स्वधायै नमः ।
ॐ स्वाहायै नमः ।
ॐ मनोन्मन्यै नमः । ६०
ॐ त्रिलोकपालिन्यै नमः ।
ॐ उद्भूतायै नमः ।
ॐ त्रिसन्ध्यायै नमः ।
ॐ त्रिपुरान्तक्यै नमः ।
ॐ त्रिशक्त्यै नमः ।
ॐ त्रिपदायै नमः ।
ॐ दुर्गायै नमः ।
ॐ ब्राह्मयै नमः ।
ॐ त्रैलोक्यवासिन्यै नमः ।
ॐ पुष्करायै नमः । ७०
ॐ अत्रिसुतायै नमः ।
ॐ गूढ़ायै नमः ।
ॐ त्रिवर्णायै नमः ।
ॐ त्रिस्वरायै नमः ।
ॐ त्रिगुणायै नमः ।
ॐ निर्गुणायै नमः ।
ॐ सत्यायै नमः ।
ॐ निर्विकल्पायै नमः ।
ॐ निरंजिन्यै नमः ।
ॐ ज्वालिन्यै नमः । ८०
ॐ मालिन्यै नमः ।
ॐ चर्चायै नमः ।
ॐ क्रव्यादोप निबर्हिण्यै नमः ।
ॐ कामाक्ष्यै नमः ।
ॐ कामिन्यै नमः ।
ॐ कान्तायै नमः ।
ॐ कामदायै नमः ।
ॐ कलहंसिन्यै नमः ।
ॐ सलज्जायै नमः ।
ॐ कुलजायै नमः । ९०
ॐ प्राज्ञ्यै नमः ।
ॐ प्रभायै नमः ।
ॐ मदनसुन्दर्यै नमः ।
ॐ वागीश्वर्यै नमः ।
ॐ विशालाक्ष्यै नमः ।
ॐ सुमंगल्यै नमः ।
ॐ काल्यै नमः ।
ॐ महेश्वर्यै नमः ।
ॐ चण्ड्यै नमः ।
ॐ भैरव्यै नमः । १००
ॐ भुवनेश्वर्यै नमः ।
ॐ नित्यायै नमः ।
ॐ सानन्दविभवायै नमः ।
ॐ सत्यज्ञानायै नमः ।
ॐ तमोपहायै नमः ।
ॐ महेश्वरप्रियङ्कर्यै नमः ।
ॐ महात्रिपुरसुन्दर्यै नमः ।
ॐ दुर्गापरमेश्वर्यै नमः । १०८

॥ इति दुर्गाष्टोत्तरशतनामावलिः समाप्ता ॥