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सपने अक्सर मनुष्य को बेचैन कर देते हैं. स्वप्न विमर्श एक बहुत बड़ा विषय है. धर्म में भी यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है और आधुनिक मनोविज्ञान में भी स्वप्न बड़ा गम्भीर विषय है. मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड ने अपने जीवन का लम्बा समय स्वप्नों के विश्लेषण में ही बिताये और अनेक महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचे. भारत में वाल्मीकि रामायण सम्भवत: पहला ऐसा ग्रन्थ है जिसमे स्वप्न को बहुत गम्भीरता से लिया गया है. रामायण में त्रिजटा का सपना बहुत अद्भुत है. उसके सपनों के सिम्बल ही सब कुछ बता देते हैं.
त्रिजटा नाम राच्‍छसी एका। रामचरन रति निपुन बिबेका।
सबन्‍हौं बोलि सुनाएसि सपना । सीतहि सेई कहु हित अपना॥
सपनें बानर लंका जारी।

स्वप्नमे मैंने देखा कि एक बंदर ने लंका जला दी है. राक्षसों की सारी सेना मार डाली गयी है. रावण नंगा है और गधे पर सवार है. उसके सिर मुँड़े हुए हैं बीसो भुजाएँ कटी हुई है. इस प्रकार से वह दक्षिण (यमपुरी की) दिशा को जा रहा है और मानो लंका विभीषण ने पायी है.

त्रिजटा का यह सपना सत्य होता है. ऐसा कहा जाता है कि सपने भोर में देखे हुए सत्य होते हैं लेकिन सपने दिन के भी कभी कभी सत्य होते देखे गये हैं. दिन के सपने विशेष रूप से साधकों के सपने सत्य होते हैं. खैर यहाँ ज्योतिष की बात है..

यदि पंचम भाव में, सप्तम भाव में , अष्टम भाव में, द्वादश भाव में केतु या कोई क्रूर ग्रह हो और मंगल से इसका कोई सम्बन्ध हो तो जातक अक्सर गिरने का सपना देखते हैं.  मान लो वृष लग्न में केतु पंचम में होऔर बुध दशम में हो या द्वादश हो या केतु का मंगल से सम्बन्ध हो और मंगल दु:स्थान में हो तो जातक अक्सर गिरने का सपना देख सकता है.
यदि इसी लग्न में सप्तम में बैठा शनि की महादशा हो और केतु की अन्तर्दशा हो तथा शनि मंगल द्वारा दृष्ट हो तो इस दशा में जातक गिरने का सपना देखता रहेगा. अलग अलग लग्नों के हिसाब से अलग अलग स्थितियां होंगी जिसको जांच परख कर इस बावत निर्णय देना चाहिए.