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ज्योतिष शास्त्र में दिशाओं का बड़ा महत्व है। अपनी जन्म कुंडली के ग्रहों के दिग्बल के अनुसार कार्य करने से उक्त कार्य में  सफलता शीघ्र मिलती है।  दैनिक दिनचर्या के कर्मों को दिशा के अनुसार करने का शास्त्रों में उपदेश दिया गया है। मानव जीवन में अनेक कष्ट एवं कठिनाइयां केवल दिशाओं के गलत उपयोग के कारण ही आती हैं। मात्र दिशाओं में कुछ परिवर्तन करके जीवन में सुख, शांति, विकास, इच्छापूर्ति आदि को पाया जा सकता है।

भोजन के विषय में स्पष्ट शास्त्रीय निर्देश है कि किस कामना वाला व्यक्ति किस दिशा की ओर मुख करके भोजन करे? शास्त्र कहते हैं कि आयुष्य आरोग्य की कामना रखने वाले व्यक्ति पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करें। अनुभव सिद्ध बात यह है कि रोगी व्यक्ति को अगर पूर्व दिशा की ओर मुख करके पथ्य-आहार दिए जाते हैं तो उसे तेजी से स्वास्थ्य लाभ होता है।
1-यश प्राप्ति की कामना रखने वाले व्यक्तियों को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मान-सम्मान की असाधारण वृद्धि होती है किंतु जिनके माता-पिता जीवित हों, उन्हें दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन नहीं करना चाहिए। इनके लिए पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

2-नैऋत्य कोण (दक्षिण -पश्चिम ) की तरफ मुंह करके भोजन करने से पाचन शक्ति कमजोर होती है तथा पेट की अनेक बीमारियां हो सकती हैं।

3-आग्रेय कोण की तरफ मुंह करके भोजन करने से अनेक सैक्सगत बीमारियां हो सकती हैं तथा स्वप्नदोष, ल्यूकोरिया, प्रदर रोग आदि में भी वृद्धि हो सकती है।

4-वायव्य कोण में बैठकर भोजन करने से वायु विकार दोष उत्पन्न हो सकते हैं।

5-धन प्राप्ति की इच्छा हो तो उसे पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए। इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी ठीक हो सकती है परन्तु यह वृद्धि धीरे-धीरे ही होती है।

1-उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से धन की हानि होती है। कारण स्पष्ट करते हुए ऋषि कहते हैं कि उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करने वाला व्यक्ति ‘ऋण का’ भोजन करता है। दिन-प्रतिदिन ऋणी होता चला जाता है। अनुभव में आया है कि अच्छे खासे समृद्धशाली व्यक्ति भी उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करते-करते उत्तरोत्तर हानि को प्राप्त करते गए। उनका स्वास्थ्य भी धीरे-धीरे क्षीण होने लगा। हर माह 400-500 रुपए की औषधि  खाने के बाद ही वे अपना कार्य कर पाते थे। सुझाव देने पर जब वे पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करने लगे तो आर्थिक समृद्धि का जो दौर प्रारंभ हुआ तो शीघ्र वे पूर्वावस्था में आ गए।

सोने के लिए दिशा 

भोजन की तरह ही शयन की दिशा का भी प्रभाव स्वास्थ्य, आर्थिक एवं मानसिकता पर पड़ता है।

1-शयन करते समय शयनकर्ता का सिर पूर्व की ओर होने से अच्छी नींद आती है। मस्तिष्क तरोताजा एवं शरीर स्वास्थ रहता है। धार्मिक, आस्थावान एवं आध्यात्मिक लाभ की कामना वाले व्यक्तियों को हमेशा पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए।

2-दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से भी अच्छी नींद आती है तथा आय में वृद्धि होती है।

3-पश्चिम दिशा की ओर सिर करके शयन करने से आयु का क्षय होता है एवं तनाव उत्पन्न होता है। अपने घर में शयन करते समय पूर्व दिशा की ओर सिर करके ही सोना चाहिए।

4-उत्तर दिशा की ओर सिर करके शयन करने से आयु का क्षय होता है एवं तनाव उत्पन्न होता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके सोने से चिंताएं भी उत्पन्न होती हैं।

5-ससुराल में दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके शयन करना चाहिए।

6-यात्रा में पश्चिम दिशा की ओर सिर करके शयन करना उत्तम माना जाता है। यात्रा में उत्तर दिशा की ओर मुंह करके सोने से हानि हो सकती है।

7-घर में पूर्व-उत्तर कोण (ईशान कोण) में उपासना गृह बनाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके उपासना करने से शीघ्र ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

8-दोपहर तक पूर्व दिशा की ओर तथा दोपहर के बाद पश्चिम दिशा ओर मुख करके पेशाब करने से शारीरिक, आर्थिक एवं मानसिक हानि उठानी पड़ सकती है।