दीवाली में लक्ष्मी प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार जतन हिन्दू ग्रन्थों, पुराणों में बताये गये हैं और जनता अनेक प्रकार के पूजा अनुष्ठान करती है. दीवाली लक्ष्मी सिद्धि का दिन होता है क्योंकि यह अमावस्या के दिन पड़ती है. अमावस्या को तन्त्र साधना के लिए प्रशस्त बताया गया है. लक्ष्मी की सवारी उल्लू भी रात्रिचर है. आज हम आपको एक नया उपाय बताते हैं, इस विधि से इस नाथसिद्ध मन्त्र का करें प्रयोग तो लक्ष्मी की आवश्य सिद्धि होगी.
प्रयोग-
अमावस्या की मध्य रात्रि में पूजन की सामग्री जुटा कर रखें. चने के बेसन से एक पिंडी बना लें और चार पके चावल की पिंडी. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछा दे और बीच में चावल की ढेरी रखें. उस ढेरी पर लक्ष्मी जी को रखें साथ में एक ताम्बे या चांदी का सर्प भी रखें. दाहिनी तरफ दोने में बेसन का पिंड रखें और बाई तरफ चावल के चार पिंड रखें. चावल के पिंड के पास चार नागफनी की कील रखें. यह बाजार में मिलती है. अब सामने एक दिया जला दें. नाग को नीचे दिए किसी मन्त्र से दूध से स्नान कराएँ और पुन: वही रख दें. नाग और लक्ष्मी का पंचोपचार पूजन करें.
पूजन के बाद मनोकामना का ध्यान कर धन के लिए प्रार्थना करें. तदुपरांत कमलगट्टे की माला से नीचे दिए मन्त्र का भोर होने से पूर्व तक 11000 मन्त्र जप पूर्ण करें. जप के बाद प्रणाम करें और अगले दिन रात्रि को सभी चीजें किसी कुंएं में प्रवाहित कर दें.
विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रगट भई कमेछा भगवती, आदिशक्ति युगलमूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जानें संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दयाकर माई,ॐ नमः विष्णुप्रियाय, ॐ नम: शिव प्रियाय, ॐ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट स्वाहा.
अथवा
ॐ क्रीं श्रीं चामुंडा सिंहवाहिनी बीस हस्ती भागवती रत्नमंडित सोनल की माल, उत्तरपथ में आप बैठी, हाथ सिद्ध वाचा, रिद्धि सिद्धि धन धान्य देहि कुरु कुरु स्वाहा

