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नरेंद्र मोदी की नोटबंदी एक व्यापक घोटाला था और बड़ी लूटपाट थी. मोदी का भ्रष्टाचार और सिस्टमेटिक लूटपाट जिस तरह उजागर हुआ है और जिस तरह उसके साक्ष्य दुनिया के समक्ष हैं, वह ऐतिहासिक है. इतिहास को देखें तो अजनतान्त्रिक फासिस्ट सरकारें ही सबसे भ्रष्ट रही है. कोई भी पार्टी या सरकार जब जनतंत्र का विरोधी होती है और असंवैधानिक कार्य करती है, मीडिया का नियंत्रण करती है, दमनकारी होती है, बुलडोजर न्याय करती है, काले धन से विधायक और एमपी खरीदती है और देश का सबसे सम्पन्न पूंजीपति वर्ग उसके साथ दमन में साथ खड़ा होता है तो उसका एकमात्र उद्देश्य व्यापक लूटपाट होता है. नरेंद्र मोदी गुजराती बनियों की पैदाइश है, उनका सेवादार है. गौरतलब है कि नोटबंदी के निर्णय में जजों के बेंच में 4 पुरुषों के बीच में एक अकेली महिला जज बी वी नागरत्ना थी जिन्होंने उस समय नोटबंदी का विरोध किया था. जस्टिस बी वी नागरत्ना ने साफ- साफ कहा था कि महज 24 घण्टे के भीतर बिना रिज़र्व बैंक को विश्वास में लिए नोटबन्दी जैसा फैसला कैसे लिया जा सकता है? अब शनिवार को हैदराबाद में NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ द्वारा आयोजित अदालतों के परिचयात्मक सत्र और संविधान सम्मेलन में इन्होंने कहा है कि जब 98% करेंसी वापस आ गई थी तो काला धन ख़त्म कहां हुआ? वास्तव में नोटबंदी काले धन को सफेद बनाने का बनियों का एक अच्छा तरीका था. उन्होंने कहा कि “जिस जल्दबाजी से यह किया गया…कुछ लोग कहते हैं कि तत्कालीन वित्त मंत्री को भी इसके बारे में पता नहीं था.” जस्टिस नागरत्ना ने कहा- वह नोटबंदी के बाद आम आदमी की दुर्दशा से व्यथित थीं. एक सुप्रीम कोर्ट की जज के इस स्टेटमेंट से हलचल मची हुई है.

गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद जब 2000 के नोट निकाले गये तो बनियों ने उसमे चिप लगी है, यह बताकर प्रचार किया. नोटबंदी में नये 2000 के नोट छपने के बाद रिजर्व बैंक में जाने से पहले आरएसएस-भाजपा कार्यालय में पहुंच चुके थे. हालिया में RTI से मिली जानकारी के अनुसार बाद में 500 के 80 हजार करोड़ के नये नोट रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया पहुंचने से पहले ही गायब कर दिए गये थे.

60 वर्षीय नागरत्ना 2027 में सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस बनेंगी. उन्होंने 2012 में ही कहा था कि उस देश का मीडिया फर्जी ख़बरों से लोकतंत्र को खतरे के डाल रहा. स्वतंत्र मीडिया देश की जरूरत है लेकिन फर्जी ख़बरों पर लगाम के लिए भी ताकतवर सिस्टम होना चाहिए. नोटबन्दी के जरिये एक नया सिस्टम डेवलप किया गया था जिससे देश का पूरा सिस्टम ही हैक हो गया और इसी कारण इस देश मे एक के बाद एक सिस्टेमिक स्कैम हो रहे है और आम आदमी को इसकी भनक भी नही लग रही है. जस्टिस बीवी नागरत्ना ने राज्यपालों की भूमिका पर भी अहम बयान दिया है और फटकार लगाई है. उन्होंने विधेयकों को लंबे समय तक मंजूरी न देने के मामले का जिक्र करते हुए कहा, “राज्यपाल एक संवैधानिक पद है. राज्यपालों को संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए”