हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि को दशहरा मनाया जाता है. दशहरा या दशमी के दिन दुर्गा जी ने महिषासुर का वध किया था. इसी दिन राजा राम ने लंका के राजा रावण का भी वध किया था. दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है और इस शुभ अवसर पर सार्वजनिक स्थलों पर रावण के दहन का आयोजन किया जाता है. इस शुभ अवसर पर दिल्ली में राजनेता रावण दहन करते हैं और अयोध्या सहित सभी छोटे बड़े शहरो में विजयादशमी मनाई जाती है. इस दिन शस्त्र-पूजा की भी परम्परा है. आर्मी के और थानों शास्त्रगार में शास्त्रपूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि दशमी को किसी नये कार्य प्रारम्भ करने से जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है. प्राचीन काल में राजा इस दिन शास्त्र पूजन करते थे और विजय के रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे. छत्रपती शिवाजी महाराज ने भी औरंगजेब के विरुद्ध युद्ध के लिए इसी दिन प्रस्थान किया था.
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥
दशहरा के दिन शमी का पेड़ लगाने और इसकी पूजा करने की भी परम्परा है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर विजय और रावण के वध के बाद शमी वृक्ष का पूजन किया था. पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान शमी के पौधे में ही अपने अस्त्र-शस्त्र छिपाए थे इसलिए क्षत्रियों में यह परम्परा अब भी जीवित है. दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा की जाती है और इस दिन अपराजिता का पौधा भी लगाया जाता है.
दशहरा मुहूर्त –
दशमी तिथि 12 अक्टूबर को दिन में 10 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. रावण दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से रात 10:33 बजे तक रहेगा. रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में ही किया जाता है. श्रवण नक्षत्र 12 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 25 मिनट पर प्रारंभ होगा और 13 अक्तूबर को सुबह 04 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. ऐसे शाम शाम 05:53 बजे से शाम 07:27 बजे तक दहन के लिए मुहूर्त रहेगा.

