Spread the love

पुराण और संहिता का जो भी तत्वदर्शन है उसके केद्र में ज्योतिष स्थित है. पौराणिक व्रत और पर्व आदि ज्योतिष पर ही आधारित हैं, उनका कोई दार्शनिक आधार नहीं है. उसी प्रकार सृष्टि में जो दिन प्रतिदिन उत्पात होते हैं या किसी समय भयंकर प्राकृतिक आपदाएं आती हैं उसका कारण ग्रह नक्षत्रादि हैं. सूर्य तो सभी के केंद्र में स्थित है और जो कुछ शुभाशुभ प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं उसका कारक माना है.
चि॒त्रं दे॒वाना॒मुद॑गा॒दनी॑कं॒ चक्षु॑र्मि॒त्रस्य॒ वरु॑णस्या॒ग्नेः।
आप्रा॒ द्यावा॑पृथि॒वी अ॒न्तरि॑क्षं॒ सूर्य॑ आ॒त्मा जग॑तस्त॒स्थुष॑श्च ॥
सूर्य जगत की आत्मा है यह वैदिक वाक्य ही यह स्थापित करता है कि ग्रह-नक्षत्र आदि ही सभी शुभाशुभ जनन करने वाले हैं. सूर्य को जनन करने वाला कहा गया है “सविता सर्वस्य प्रसविता”. ऋग्वेद में कहा गया है कि ईश्वर ने सृष्टि के प्रारम्भ में सूर्य को प्रकट कर प्रत्येक ब्रह्माण्ड में स्थापित किया जिससे सृष्टि कर्म का प्रारम्भ हुआ. सूर्य के द्वारा ही सभी कर्म होते हैं और इसलिए भगवद्गीता में कर्मयोग का उपदेश भगवान ने सर्वप्रथम विवस्वान सूर्य को प्रदान किया था.

इसप्रकार देखें तो ज्योतिष सूर्य पूजा और गायत्री के भी मूल में भी है. पुराण में लिखा है कि एक राशि में शनि-मंगल-सूर्य हों तो पृथ्वी धूम संकुल से आछन्न हो जाती है और कष्ट से लोगों के आंसुओं की अविरल धारा बहती रहती है. यदि बृहस्पति अभिचार स्थान में हो और वहीं शनि गोचर करे तो राजा कातर दृष्टि से भयाक्रांत और चिंतातुर होता है कि अब पृथ्वी किसके सहारे रहेगी. राजा के जन्म दिन या दूसरे दिन इंद्रधनुष दिखे, तीखी हवा चले तथा ग्रह युद्ध हो तो तीन महीने में ग्रहण पड़ने से जनता उल्कापात से कष्ट पाती है. यदि गायें खुर पटकती हों, चिल्लाती हों या हंसती हों या दो गायें आक्रामक युद्ध करती हों तो जिस घर में यह होता है उसका नाश होता है. यह बुध ग्रह जनित प्रकोप है. स्त्री की तरह मेंढक, सांप कुम्हड़े में प्रसव करे तो बुध जनित प्रकोप होता है. इसकी शांति दुर्गा मन्त्रों से अपामार्ग की दस हजार आहुतियों से करना चाहिए. इस प्रकार के बड़े छोटे प्रकोप ग्रहजनित होते हैं. इन प्रकोपों का अपशकुन वाह्य जगत में दृष्टिगोचर होता है. व्यक्ति को उसके सपनों में भी ऐसे अपशकुन दिखाई पड़ते हैं, उसकी पहचान कर तत्काल उसकी शांति करनी चाहिए.

राजा के सम्बन्ध से भी किसी देश और राज्य पर ग्रहीय प्रकोप होता है. यदि राजा या शासक अशुभ हो तो जनता का बुरा होता है. हालिया में अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीय हथकड़ी और बेड़ी लगा कर भेजे गये . यह स्पष्ट रूप से भारत के भाग्य पर गुजराती शनि की बुरी दृष्टि और प्रकोप है जिसके कारण भारतीय देश विदेश में पीड़ित हो रहे हैं. भारत का वर्तमान शासक कई प्रकार से मारक प्रभाव उत्पन्न कर रहा है. बुलडोजर से घर गिराना, जनता को पीड़ित करना, घृणा और विद्वेष में देश को डूबा कर दंगे करवाना तो एक हिस्सा है. बड़ी ग्रहीय परिघटनाएं भी लगातार हो रही हैं. कोविड-19 में 50 लाख लोग मर गये थे, लोगो की जान बचाई जा सकती थी यदि थाली नहीं बजवाया गया होता. कुम्भ मेलें पर भी शनि मंगल का गहरा प्रभाव पड़ा जिसमे सैकड़ों मर गये और लगभग 1500 लोग गायब हैं. दूसरी तरफ शनि की वक्र दृष्टि स्टॉक एक्सचेंज पर भी है जो लगातार क्रैश कर रहा है. भारत के रूपये का अवमूल्यन ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चूका है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 87.59 के अब तक के सबसे निम्न स्तर पर आ गया है. सामाजिक उपद्रव भी इस रिजीम का प्रमुख कार्य है. इसकी व्यापक स्तर पर शांति करनी चाहिए. सभी प्रकार के उपद्रवों की शांति के लिए ग्रह याग ही करना चाहिए. उपद्रव के स्वभाव की पहचान करके उसके .ग्रहों की शांति करने से उपद्रव नष्ट हो जाते हैं. नवग्रहों के अनुसार शांति कर्म करने से सभी उपद्रव शांत होते हैं.