कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नरेंद्र मोदी और भाजपा-संघ की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि हम हमारे और भगवान के बीच ठेकेदार को बर्दाश्त नहीं कर सकते. आधे अधूरे बने मन्दिर में धार्मिक नियमों के खिलाफ किया जा रहा यह आयोजन भारतीय जनता पार्टी और संघ का राजनीतिक कार्यक्रम है, इसका धर्म से कोई सरोकार नहीं है. प्रेस कॉन्फ्रेस में पवन खेड़ा ने कहा कि “एक पूरा संगठन मेरे धर्म का ठेकेदार बनाकर बैठा है, इनकी पूरी IT सेल चारों पीठों के शंकराचार्यों के खिलाफ एक मुहीम छेड़कर बैठी है। इस पूरे आयोजन में कहीं भी धर्म, नीति और आस्था नहीं दिखाई दे रही, सिर्फ राजनीति दिखाई दे रही है। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख का चुनाव नहीं किया गया है, बल्कि चुनाव देखकर तारीख तय की गई है। किसी एक व्यक्ति के राजनीतिक तमाशे के लिए हम अपने भगवान और आस्था के साथ खिलवाड़ होते हुए नहीं देख सकते। मंदिर निर्माण का कार्य विधिवत पूरा हो, लेकिन इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक दखल कोई भी भक्त बर्दाश्त नहीं करेगा।”
वहीं कॉन्फ्रेस में मौजूद सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भारतीय नेशनल कांग्रेस व्यक्ति की आस्था का राजनीतिकरण नहीं करती है, यह एक व्यक्तिगत आस्था का मामला है. कांग्रेस प्रेसिडेंट खड़गे जी और श्रीमती सोनिया गांधी को 22 तारीख का निमन्त्रण मिला था लेकिन वे नहीं जायेंगे क्योंकि मन्दिर अधूरा है और यह भाजपा का राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. मन्दिर की प्रतिष्ठा धार्मिक परम्परा और शास्त्रीय विधिविधान से नहीं हो रहा है. हिन्दू धर्म के सर्वोच्च पद पर अधिष्ठित चारो शंकराचार्य भी आधे अधूरे बने मन्दिर में हो रही अशास्त्रविहित प्राणप्रतिष्ठा का विरोध कर रहे हैं और वहां 22 तारीख को नहीं जा रहे हैं.
कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने बार बार यह बात दोहराई कि कोई हिन्दू मन्दिर में दर्शन कब करेगा यह उसके और भगवान के बीच का मामला है, इसमें किसी ठेकेदार की जरूरत नहीं है. धर्म एक निजी व्यक्तिगत आस्था का विषय है. कांग्रेस प्रेसिडेंट खड़गे जी और श्रीमती सोनिया गांधी नहीं जायेंगे लेकिन उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता जायेंगे. पार्टी अपने नेताओं की आस्था में भी दखल नहीं देती है. जो भी कांग्रेस के कार्यकर्ता जाना चाहे जा सकता है, धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए.

