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हर महीने के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा होती है. यह वैदिक काल से सबसे महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इस तिथि के खत्म के बाद नए माह की शुरुआत होती है. चैत्र माह की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है इसलिए इसे चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है. चैत्र पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की सिद्धि होती है. पूर्णिमा के शासक चन्द्र देवता हैं इसलिए इसदिन चन्द्रमा की पूजा करने का भी बहुत महत्व है. पूर्णिमा के दिन सभी देवताओं का पूजन करना चाहिए.

चैत्र पूर्णिमा मुहूर्त –

वैदिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को देर रात 03 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 13 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 51 मिनट तिथि खत्म हो जायेगी. ज्योतिष में उदयातिथि ही मान्य है इसलिए 12 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा का व्रत और पूजन किया जाएगा. इस तिथि में स्नान और दान का विशेष महत्व है इसलिए इसदिन नदी में स्नान करना चाहिए या सरोवर में करना चाहिए और श्रद्धा अनुसार दान करना चाहिए.

इसी दिन हनुमान जी जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा. यदपि की यह पौराणिक मान्यता है और राज्यों में आस्था अनुसार अलग अलग तिथि में हनुमान का जन्म माना जाता है और तदनुसार पूजा की जाती है. कलियुग में ऐसे देवता सिद्धिप्रद कहे गये हैं.