पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी. इस दिन सृष्टि की रचना होने के कारण इस दिन को हिन्दू नववर्ष या सम्वत्सर का प्रारम्भ माना जाता है. सम्राट विक्रमादित्य ने अपने साम्राज्य की स्थापना के अवसर पर जो नया संवत् चलाया उसमे इसी दिन को वर्ष का पहला दिन माना गया है. इसके कैलकुलेशन का आधार वैदिक गणित है. इसी दिन वैष्णव सम्प्रदाय में भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लिया था और प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था. प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई.
चैत्र मास व्रत-त्योहार-
14 मार्च 2025: होली (फागुन पूर्णिमा का अगला दिन)
15 मार्च 2025: चैत्र मास प्रारंभ
16 मार्च 2025: भाई दूज
17 मार्च 2025: भालचद्र संकष्टी चतुर्थी
19 मार्च 2025: रंग पंचमी
21 मार्च 2025: शीतला सप्तमी
22 मार्च 2025: शीतला अष्टमी, बसोड़ा, कालाष्टमी
25 मार्च 2025: पापमोचिनी एकादशी
27 मार्च 2025: प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
29 मार्च 2025: सूर्य ग्रहण, चैत्र अमावस्या
30 मार्च 2025: गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि
31 मार्च 2025: गणगौर
06 अप्रैल : रामनवमी
12 अप्रैल : चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती

