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प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. वैष्णवों की एकादशी की तरह ही शैवों का प्रदोष व्रत भी हर महीने में दो बार आता है. पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में होता है, इस तरह से एकादशी की तरह ही साल में कुल प्रदोष व्रत 24 बार होता है. इस बार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 10 अप्रैल 2025 को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि चैत्र मास शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान शंकर शिवलिंग में वास करते हैं, इस दिन जो भी भक्त भगवान शिव की विविध प्रकार से पूजा करता है, उसे धन, सुख और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है.

प्रदोष मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि 10 अप्रैल रात 09 बजकर 53 मिनट से शुरू हो रही है और 11 अप्रैल को ही दिन के 1 बजे सुबह इस तिथि का समापन होगा. ऐसे में 10 अप्रैल को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. प्रदोष व्रत पर महादेव की पूजा सायं प्रदोष काल में ही किया जाता है. 10 अप्रैल को पूजा के लिए शाम को 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा.