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भगवान की लीला को क्या कोई
समझ सकता है? 

उनका ऐश्वर्य अनन्त है- क्या समझेगा कोई ?
उनका कार्य ही क्या कोई समझ सकेगा?

भीष्म देव साक्षात् अष्टवसुओं में से एक थे-वे ही शरशय्या पर रोने लगे. कृष्ण संग पांडव दर्शन करने गये थे.

पांडवों ने पूछा ये पितामह तो परम ज्ञानी हैं केशव! ये क्यों रो रहे हैं?

कृष्ण ने कहा-खुद जाकर पूछ लो।

पांडवों में अर्जुन ने जाकर पूछा-पितामह आप रोते क्यों हो?

भीष्म ने कहा- सब व्यर्थ गया पुत्र, सब व्यर्थ गया!
मेरी सब उपासना व्यर्थ गई. मैं भगवान के कार्य नहीं समझ पाया.
कैसा आश्चर्य है!
पांडवों के संग स्वयं भगवान थे, तब भी उनके दुखों का अंत नहीं !

भगवान के कार्य को कौन समझ सकेगा!

दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया …-भगवद्गीता