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गुरु बृहस्पति वैदिक ज्योतिष में सबसे शुभ ग्रह माने गये हैं. इन्हें गुरु, वाचस्पति, जीव, सुराधिप, अंगिरस, देव मंत्री, देवेज्य, वासव गुरु, चित्र शिखंडीज इत्यादि नाम से भी जाना जाता है. धन, धर्म और विद्या पर इनका अधिकार माना गया है. बृहस्पति बलवान हो तो मनुष्य बुद्धिमान होता है और किसी विषय को जल्द ही हृदयंगम कर लेता है. बलवान गुरु कुंडली में हो तो जातक श्रीपति होता है. यदि गोचर में अनुकूल होता है तो धन की प्राप्ति कराता है. यदि बृहस्पति पापाक्रांत हो तो धन नाश करता है. यह वसा प्रधान है इसलिए बृहस्पति से जातक भारी शरीर वाला होता है. गुरु बलवान हो तो जातक की वाणी शेर की तरह गम्भीर होती है. यह सत्वप्रधान ग्रह है इसलिए जन्म कुंडली में यह बलवान हो तो जातक सत्वगुणी और निष्ठावान होता है.

गुरु का रंग पीला श्वेत मिश्रित है. इनका मेदा पर अधिकार है. इनको पीताम्बर प्रिय है. बृहस्पति का धातु कांसा है. यह मधुर प्रिय हैं. ऋग्वेद पर इनका अधिकार है. गुरु स्वर्ग लोक में निवास करते हैं. इनके लिए पुष्पराग या पुखराज रत्न धारण करना चाहिए, इस रत्न पर इनका अधिकार है. वृषभ, कन्या, तुला और मकर राशि के जातकों को पुखराज धारण नहीं करना चाहिए. गुरु बृहस्पति की दिशा ईशान मानी गई है. ब्राह्मणों पर गुरु बृहस्पति का अधिकार माना गया है.

गुरु के प्रमुख कारकत्व –
ब्राह्मण-गुरु, मीमांसा और वेदांत, धन, नौ-निधियां, घोड़े, कीर्ति, तर्क शास्त्र , ज्योतिष, सभी प्रकार की विद्या, वेद ज्ञान, राज सम्मान, निरोगता, उत्तर दिशा, सतपुरुषों का आमोदप्रमोद, ज्ञान, सद्गुण, सत्व, आचार, धर्म, माहात्म्य, मोक्ष, विद्वता, पति सुख, ब्राह्मण भक्ति, यज्ञ, तप, श्रद्धा, राजकोष, देवताओं का कोप, पुष्पराग, मांगल्य, पुष्टि, शांति, मन्त्र शास्त्र, मन्त्र सिद्धि, सिंहासन, राजा का मंत्री, विद्वतापूर्ण प्रवचन, वैदिक धर्मगुरु, आध्यात्म ज्ञान, जज, सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश, हाथी-घोड़े-पालकी, शाप से उत्पन्न रोग, देवालय, बुद्धि, काव्य शक्ति, स्वर्ण के आभूषण, मीठे फल, मीठे पकवान, घी, शिव की पूजा, ऊनि वस्त्र, जांघ-पैर , लोक संग्रह, ग्रहण शक्ति, ग्रन्थ की रचना, राज-काज, न्याय, कुल-गुरु, दर्शन शास्त्र, विद्यापीठ का कुलगुरु, उच्च उपाधियाँ, देव पूजा, सुख-शांति, शुभगति, कृपा और सम्मान, उन्नति, जितेन्द्रिय, तप, वाक् शक्ति, दार्शनिक तर्क, वृषभ, श्वेत घोड़ा, मंत्रीमंडल, विवेक, संकट में पड़े व्यक्ति की सहायता करने वाला, रुचिकर भोजन, निर्भयता, निःस्पृहा, दीक्षा, गो-सेवा, ओजस्वी प्रगल्भ वाणी, भक्ति, स्मृति, पिता, ब्रह्मा जी, महान बल, मास, निगमागम दृढ संकल्प, राज नीति, व्याकरण, महापंडित, सभी उदात्त गुण, इंद्र देव की प्रसन्नता, देव कृपा, सभी सुख, इत्यादि बृहस्पति के प्रमुख कारकत्व हैं.