Spread the love

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (२१ फरवरी, १८९९ – १५ अक्टूबर, १९६१). निराला जी का जन्म  बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में माघ शुक्ल ११, संवत् १९५५ में हुआ था. कुछ लोग इसे गलत भी बताते हैं. हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभो में जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं. उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविताओं के कारण है. इनकी कविताओं में जूही की कली, सरोज स्मृति, राम की शक्तिपूजा, कुकुरमुत्ता इत्यादि बहुत चर्चित कविताएँ हैं.

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने महिषादल राज्य में १९१८ से १९२२ तक नौकरी की. उसके बाद संपादन, स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्य की ओर प्रवृत्त हुए। १९२२ से १९२३ के दौरान कोलकाता से प्रकाशित ‘समन्वय’ का संपादन किया, १९२३ के अगस्त से मतवाला के संपादक मंडल में कार्य किया. इसके बाद लखनऊ में गंगा पुस्तक माला कार्यालय में उनकी नियुक्ति हुई जहाँ वे संस्था की मासिक पत्रिका सुधा से १९३५ के मध्य तक संबद्ध रहे। १९३५ से १९४० तक का कुछ समय उन्होंने लखनऊ में भी बिताया। इसके बाद १९४२ से मृत्यु पर्यन्त इलाहाबाद में रह कर स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्य किया. उनकी पहली कविता ‘जन्मभूमि’ प्रभा नामक मासिक पत्र में जून १९२० में, पहला कविता संग्रह १९२३ में अनामिका नाम से, तथा पहला निबंध ‘बंग भाषा का उच्चारण’ अक्टूबर १९२० में मासिक पत्रिका सरस्वती में प्रकाशित हुआ  था.

काव्यसंग्रह: अनामिका (१९२३), परिमल (१९३०), गीतिका (१९३६), अनामिका (द्वितीय) (१९३९) (इसी संग्रह में सरोज स्मृति और राम की शक्तिपूजा जैसी प्रसिद्ध कविताओं का संकलन है., तुलसीदास (१९३९), कुकुरमुत्ता (१९४२), अणिमा (१९४३), बेला (१९४६), नये पत्ते (१९४६),
अर्चना(१९५०),आराधना (१९५३), गीत कुंज (१९५४), सांध्य काकली, अपरा (संचयन)
 
उपन्यास: अप्सरा (१९३१), .अलका (१९३३), प्रभावती (१९३६), निरुपमा (१९३६), कुल्ली भाट (१९३८-३९), बिल्लेसुर बकरिहा (१९४२), चोटी की पकड़ (१९४६),काले कारनामे (१९५०) {अपूर्ण},चमेली (अपूर्ण),इन्दुलेखा,तकनीकी

 

 

निराला की जन्म कुंडली –