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भानुरेखा गणेशन उर्फ़ रेखा (जन्म: 10 अक्टूबर, 1954). रेखा हिन्दी फ़िल्मों की गिनी चुनी सबसे प्रतिभाशालीअभिनेत्रियों में शरीक हैं . रेखा के पिता तेलगु फिल्मों के नायक जैमिनी गणेशन हैं और मां ऐक्ट्रेस पुष्पवेली हैं. रेखा ने अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत बतौर एक बाल कलाकार तेलुगु फ़िल्म रंगुला रत्नम से की थी, लेकिन हिन्दी सिनेमा में उनका प्रवेश 1970 की फ़िल्म सावन भादों फिल्म से हुई. उन्हें फिल्मों के लिए एक नेशनल अवार्ड और तीन फिल्म फेयर अवार्ड मिले हैं. सन 2010 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. सन 2012  में वे राज्यसभा में मनोनीत की गईं.

सावन भादों फिल्म से उन्होंने हिंदी फिल्मों में करियर शुरू किया था और उनको पहचान भी मिल गई थी लेकिन इसके बाद उनका करियर डगमगा गया और 7 साल में जो भी फ़िल्में आईं उसमें कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाईं. इस दौर की फिल्में ‘राम पुर का लक्षमण’ ‘कहानी किस्मत की’ ‘धरम करम ‘ ‘नमक हराम’ ‘धर्मात्मा’ प्रमुख थीं. वास्तव में रेखा 1978 में रिलीज हुई “मुकद्दर का सिकन्दर’ से ही बॉलीवुड में पूरी तरह स्थापित हईं. इस फिल्म के बाद से एक दशक रेखा ने फ़िल्मी दुनिया पर राज किया. सन 1980 में रेखा को ‘खुबसूरत’ फिल्म के लिए बेस्ट ऐक्ट्रेस का पहला फिल्म फेयर अवार्ड मिला. सन 1981 में सुपरहिट फिल्म ‘उमरावजान’ के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड मिला. सन 1988 में दूसरी बार “खून भरी मांग” फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट ऐक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवार्ड मिला. सन 1981 में रिलीज हुई ‘सिलसिला’ फिल्म के कारण मीडिया में उनका अमिताभ बच्चन से लव-अफेयर लम्बे समय तक सुर्ख़ियों में रहा. सन 1978 से 84 तक उनकी बेहतरीन फिल्मे आईं जिनमे ‘मुकद्दर का सिकन्दर’ ‘मिस्टर नटवर लाल’, ‘सुहाग, मांग भरो सजना, जुदाई, सिलसिला, उमराव जान, उत्सव इत्यादि प्रमुख फ़िल्में आईं. रेखा बॉलीवुड में छा चुकी थीं.

सन 1985 के बाद उन्हें फिर झटका लगा और तीन साल के बाद पुन: 88 में ‘खून भरी मांग’ से उन्होंने वापसी किया. यह वापसी बहुत बेहतर नहीं रही, जो भी फ़िल्में आईं बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकीं. 1990-99 तक में ‘फुल बने अंगारे’, ‘अब इंसाफ होगा’, ‘मैडम एक्स’, ‘काम-सूत्र’, ‘आस्था’  इत्यादि फ़िल्में आईं.  इनमे ‘आस्था’ अवश्य चर्चा का विषय रही. इसके बाद क्रमश: करेक्टर रोल मिलने लगे और उनका फ़िल्मी करियर खत्म हो गया.

रेखा की जन्म कुंडली ..
रेखा क्यों पुत्रहीन रह गईं ? लिखा है “कारके राहु युक्ते.. शापात सुतक्षय:” पुत्र कारक यदि राहु से युक्त हो तो शाप से पुत्र की हानि होती है अर्थात सन्तानहीनता होती है. यहाँ रेखा की’ कुंडली में मंगल संतान भाव के स्वामी राहु के साथ लग्न में है और पुत्रकारक गुरु अष्टम में मंगल द्वारा दृष्ट है .