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रामकृष्ण का जन्म १८ फरवरी १८३६ में ६-७ बजे के आसपास पश्चिम बंगाल के एक गाँव कमारपुकुर में एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। जन्म तिथि तथा जन्म समय  में आंशिक मतभेद है लेकिन ज्यादातर विद्वानों के अनुसार फाल्गुन मास, शुक्ल द्वितीया का जन्म है तथा जन्म लग्न कुम्भ और नक्षत्र पूर्वभाद्रपद है। इनकी माता का नाम चन्द्रमणि और पिता का नाम क्षुदीराम चटोपाध्याय था। इनके माता पिता अत्यंत धर्मनिष्ठ थे। महाशय क्षुदीराम चटोपाध्याय के तीन पुत्र और एक पुत्री थी। इनके दो पुत्रों के जन्म का सम्बन्ध आश्चर्यजनक रूप से तीर्थयात्रा से है। क्षुदीराम के पहले पुत्र का जन्म रामेश्वरम तीर्थ की यात्रा में हुआ था जिसके कारण पिता ने उसका नाम रामेश्वर रखा था तथा दूसरे पुत्र गदाधर का जन्म गया धाम की यात्रा में पिता क्षुदीराम को आये सपने के बाद हुआ था। धर्मप्रवण ब्राह्मण क्षुदीराम ने पितरों के लिए श्राद्ध इत्यादि पितृ कर्म के लिए गया धाम में एक महीने के प्रवास किया था।

रामकृष्ण मिशन पुराण कथानुसार इस प्रवास के दौरान क्षुदीराम को भगवान विष्णु ने सपने में प्रकट होकर कहा कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इसी समय माता चन्द्रमणि को भी शिव मन्दिर के समक्ष पुत्र के सम्बन्ध में कुछ दैवी अनुभूति हुई थी। गया धाम से लौटने के बाद क्षुदीराम को पता चला की पत्नी गर्भवती हैं। समयानुसार चन्द्रमणि ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। गया धाम के सपने के कारण ही धर्मनिष्ठ पिता ने दूसरे पुत्र का नाम गदाधर रखा। गदाधर भगवान विष्णु का ही एक नाम है। गदाधर की जन्म कुंडली १८ फरवरी १८३६ में ६-७ बजे के आसपास की बनाने पर ही लग्न कुम्भ और जन्म नक्षत्र पूर्वभाद्रपद आता है। नारायण ज्योतिर्भूषण द्वार बनाई १७ फरवरी १८३६ में ४ बजे भोर की कुंडली से लग्न कुम्भ नहीं होगा। स्वामी सारदानन्द ने कुम्भ लग्न की कुंडली ही अपनी किताब में छापी है। बंगाब्द  १२४२, ६ फाल्गुन, शुक्ल पक्ष तृतीया (द्वितीया बताया जाता है लेकिन अर्धरात्रि  के बाद तृतीया लग गई थी) बुधवार रात्रि (अर्धघटी मात्र शेष) रहते कुम्भ लग्न के प्रथम नवांश में, कुम्भ राशि, पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम पाद में जन्म हुआ था। हम यहाँ १८ फरवरी १८३६ में ६-२०-३५ बजे की कुंडली को ही लेंगे क्योंकि कुम्भ लग्न का प्रथम नवांश तभी होगा। हम दूसरी कुंडली का त्याग करके पहली कुंडली ही लेंगे …

रामकृष्ण की जन्म कुंडली  
1-जन्म: १८  फरवरी १८३६  ( मृत्यु: 16 अगस्त 1886 )
समय: ६-35 बजे, दिन बुधवार बीत गया था, शुक्ल द्वितीया बीत गई थी तृतीया लग गई थी
स्थान -कमारपुकुर (पश्चिम बंगाल) प्रथम कुंडली से लग्न कुम्भ, नवांश-तुला है.
दूसरी कुंडली –
2-जन्म: १८  फरवरी १८३६ ( मृत्यु: 16 अगस्त 1886 )
समय: 5 बजे सूर्योदय से पूर्व
स्थान -कमारपुकुर (पश्चिम बंगाल)
इस जन्म समय से ग्रह स्थिति तो वही होगी लेकिन लग्न मकर होगा।

रामकृष्ण का जन्म शुक्ल पक्ष तृतीया को हुआ था जिसकी देवता गौरी मानी गई हैं। रामकृष्ण की ईष्ट भी काली ( गौरी हैं). पिता जन्म समय बाहर तीर्थ यात्रा पर थे. सूर्य से या नवमेश से देखें तो पिता घर से बाहर यात्रा में थे इसलिए कुंडली सही है.