भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का एक इंटरव्यू के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर दिया वक्तव्य काफी चर्चा का विषय बन गया है. भाजपा अब संघ के कब्जे से मुक्त होना चाहती है. अभी भाजपा के सभी बड़े नेता पहले आरएसएस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी थे. भाजपा बिना आरएसएस के कुछ भी नहीं है. अब भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने आरएसएस को पार्टी का वैचारिक मोर्चा करार दिया है. इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में अटल बिहारी वाजपेयी के युग की तुलना में भाजपा के भीतर आरएसएस की उपस्थिति कैसे बदल गई है? इस सवाल का जवाब देते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि पार्टी की संरचना मजबूत हो गई है. अब भाजपा आरएसएस के भरोसे नहीं, अपने भरोसे ही चलती है.
इंटरव्यू के दौरान नड्डा ने कहा कि वाजपेयी के समय में पार्टी को खुद को चलाने के लिए आरएसएस की जरूरत थी क्योंकि उस समय बीजेपी कम सक्षम और छोटी पार्टी हुआ करती थी. उन्होंने कहा, “शुरू में हम अक्षम थे, थोड़ा कम होंगे, आरएसएस की जरूरत थी. आज हम बढ़ गए हैं. पहले से अधिक सक्षम हैं. बीजेपी अब अपने आप को चलाती है.”

जेपी नड्डा ने आगे कहा कि भाजपा की मथुरा और वाराणसी के विवादित स्थलों पर मंदिर बनाने की तत्काल कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, “भाजपा के पास ऐसा कोई विचार, योजना या पार्टी की इच्छा नहीं है. कोई चर्चा भी नहीं हुई है.”
यह चुनाव में हो रही हार को देखते हुए निर्णय लिया गया है. नरेंद्र मोदी द्वारा आरएसएस नेताओं और मोहन भागवत को जूते की नोक पर रखने के कारण आरएसएस काफी नाराज चल रही है. आरएसएस भाजपा के लिए इस बार कहीं चुनाव में सक्रिय नहीं दिख रही है. यह देखते हुए मोदी भाजपा ने यह निर्णय लिया है. भाजपा इस समय सबसे धनी राजनीति पार्टी है जिसके पास 60 हजार करोड़ से ज्यादा ज्ञात रूपये हैं. पीएम केयर फंड में भी कई हजार करोड़ हैं. ऐसे में भाजपा का यह वक्तव्य महत्वपूर्ण डेवलेपमेंट है.

