ज्योतिष में सूर्य को प्रखर तेज के कारण क्रूर ग्रह कहा गया है लेकिन पाप ग्रह नहीं कहा गया क्योंकि सूर्य में सत्व और तेज की बहुलता है. सूर्य कालपुरुष की आत्मा है इसलिए सबसे पवित्र ग्रह है, पराशर ने लिखा भी है “शुचिर्द्विज:”, साथ में महर्षि वेदव्यास व्यास के अनुसार “मोक्षद्वारं प्रजाद्वारं” अर्थात व्यक्ति के आत्यंतिक कल्याण और प्रजा के कल्याण के लिए सूर्य प्रमुख ग्रह है. सूर्य में सत्व का तेज है और यह राजसत्ता का ग्रह मान्य है इसलिए यह व्यक्ति को महान राजा बनाता है. राजा श्री राम या अशोक जैसे दिग्विजय करने वाले सम्राटों में सूर्य का सत्व प्रकट रूप से दिखता है. भारत में राजसत्ता का प्रारम्भिक दौर ही ऐसा दिखता है जिसमे पीएम या सीएम में कुछ सत्व था. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की कुंडली में चन्द्रमा प्रभावी ग्रह था और ग्रह भी काफी शुभत्व लिए हुए थे लेकिन चन्द्रमा एक स्त्री ग्रह है इसलिए उनका चरित्र और स्वभाव चन्द्रमा की तरह ही सौम्य था. चन्द्रमा भी राजसत्ता का एक प्रमुख ग्रह है ल्रेकिन यह भोगप्रधान ग्रह है इसलिए कांग्रेस की रिजीम मुगलों की तरह एक भोगप्रधान रिजीम थी. उसमे सूर्य की तरह ओज नहीं था. भारत में इंदिरा गांधी के बाद जितने पीएम या सीएम बने उनमें राजा के गुण नहीं थे, सभी मूलभूत रूप से चोर-चाईं की तरह दिखते हैं और कर्म भी उसी प्रकार का रहा है. राजसत्ता का सत्व जो सूर्य में है वह जिन नेताओं में नहीं होता और कुंडली में ज्यादातर आसुरी प्रकृति के पाप ग्रह प्रभावी हों तो उनमें असुरी प्रकृति ही प्रभावी होगी.
कहा गया है कि यदि ग्रहों का राजा बलवान होता है तो सभी ग्रह बलवान होते हैं, उस व्यक्ति के भीतर सत्व होता है. कहा भी गया है “आत्मादयो गगनगैर्बलिभिर्बलवत्तरा”. सूर्य स्थिर आत्मकारक है, यदि वह बली है तो व्यक्ति में सत्व, सदाचार आदि गुण होते हैं. जिन राजनेताओं की कुंडली में तमोगुणी ग्रह शनि-राहु इत्यादि प्रभावी होते हैं उनसे सिर्फ चोर-चाई प्रकट होते हैं. मोदी की कुंडली में तमोगुणी ग्रह शनि और मंगल ही प्रभावी हैं और चन्द्रमा नीच भावगत होकर नक्षत्र के स्तर पर तमोगुणी ही है. उसका चर आत्मकारक शनि सिंह राशि में शत्रुगृही है और सूर्य कन्या राशि में 00.37 डिग्री पर स्थित है अर्थात राशि संधि में फंस गया है और शुभ फलदायी नहीं है. जन्म से कमोवेश 16 घंटे पूर्व सूर्य की कन्या संक्रांति रात्रि 7:55 मिनट पर शनिवार को हुई थी. ब्रह्मसिद्धांत में बताया गया है कि संक्रांति के 56 घंटे बाद पुण्यकाल होता है, इस प्रकार अशुभ काल में जन्म सिद्ध होता है. तीसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि नरेंद्र मोदी का षष्टी तिथि में रविवार को जन्म हुआ था (सन्तानविहीन होने की प्रमुख वजह). यदि रविवार को नंदा तिथि हो तो मृतयोग होता है. यह व्यक्ति क्रूरकर्मा होता है. चौथी बात मोदी का जन्म विषकुम्भ योग में हुआ था नाम से ही स्पष्ट है विष का घड़ा अर्थात यह जातक विषैला होता है और सोशल मीडिया पर विषगुरु के नाम से प्रसिद्ध भी हो चुके हैं.
पाप ग्रह शनि के आत्मकारक होने और सूर्य के राशि संधि में होकर अशुभ होने के कारण उसकी रिजीम चोर-चाइंयों, ठगों की रिजीम थी और वह स्वयं ही एक ठग और चोर-चाई की तरह कार्य करता रहा. सूर्य के खराब होने के कारण नरेंद्र मोदी कभी पत्रकारों के समक्ष प्रेस कॉन्फ्रेंश नहीं कर पाया. यह गुप्त कर्मा हैं, सब कार्य पाप ग्रह द्वारा शासित राहु काल में करता रहा है. पाप ग्रह अशुभ इसलिए होते हैं क्योंकि वे सत्वहीन होते हैं, उनसे मनुष्य का कल्याण नहीं होता है. अशुभ पाप ग्रहों के प्रभाव में मनुष्य में प्रकाश और सत्व की कमी होती है. ऐसे में उसमे अज्ञानता, झूठ, चौर्यकर्म, पापकर्म, ठगी, लूटपाट यही सब भरा रहता है और वह व्यक्ति यही सब कर सकता है.
इस प्रकार व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण उसके कुंडली के ग्रहों के चरित्र पर निर्भर करता है. कुंडली में शुभ ग्रहों का प्रभाव ज्यादा होगा तो जातक सौम्य, शुभ करने वाला, धर्म पर चलने वाला, लोककल्याण की सोचने वाला, सच बोलने वाला और सदाचारी होगा. कुंडली में अशुभ पाप ग्रह का प्रभाव ज्यादा हो, अशुभ काल में जन्म हो तो व्यक्ति पापी, क्रूर, झूठा, ठग, झूठ बोलने वाला, दुराचारी, चोर-चाई होता है.

