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सनातन धर्म के पांच सम्प्रदायों में गाणपत्य सम्प्रदाय एक प्रमुख सम्प्रदाय है. इस सम्प्रदाय फॉलोवर महाराष्ट्र से लेकर दक्षिण भारत तक हैं. उत्तर भारत में भी यह सम्प्रदाय पिछले सौ वर्षों में तेजी से प्रभावी हुआ है. वैष्णव सम्प्रदाय की एकादशी की तरह चतुर्थी इस सम्प्रदाय की सबसे महत्वपूर्ण तिथि है. गणेश विघ्नहर्ता हैं इनकी प्रथम पूजा करने का विधान है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है लेकिन चैत्र महीने की चतुर्थी की विशेष महत्ता है. इस महीने में सृष्टि का प्रारम्भ हुआ था. इस साल 17 मार्च 2024 को चैत्र माह की संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की जाती है. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति की पूजा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही सभी दुःख, संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं. गणेश जी की पूजा केतु की अशुभ महादशा या बुध की अशुभ महादशा में भी करने से अत्यंत लाभ होता है.

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 मार्च को रात 07 बजकर 33 मिनट पर होगी. इसकी समाप्ति 18 मार्च को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगी. इस दिन चंद्रोदय के समय पूजा का विधान है. ऐसे में 17 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन किया जाएगा..