वैष्णव की एकादशी होती है और शैवों का प्रदोष व्रत होता है. प्रत्येक माह में दोनों पक्षों में ये व्रत पड़ते हैं. त्रयोदशी तिथि के दिन शिवोपासक प्रदोष व्रत रखते हैं और विशेष पूजन करते हैं. सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस विशेष दिन पर अत्यंत शुभ शिव योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 सितंबर रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 13 सितंबर रात्रि 02 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. उदया तिथि के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत 12 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन रखा जाएगा. इस विशेष दिन पर प्रदोष काल शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात्रि 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा. इस त्रयोदशी तिथि में शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन शिव योग 13 सितंबर रात्रि 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 27 मिनट से रात्रि 11 बजकर 01 मिनट तक रहेगा.
मंगलवार के दिन एकादशी का संयोग होने से प्रदोष व्रत बेहद शुभ और लाभकारी माना जाता है. ऐसे प्रदोष काल में भगवान शिव की शास्त्रसम्मत विधि से पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भौम प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की आराधना करने से सभी काम बनते हैं और सुख सम्पत्ति की प्राप्ति होती है.
भगवान शिव के सिर्फ इन पांच नामों से पूजन कर लेने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं…
ॐ सद्योजाताय नमः । ॐ वामदेवाय नमः । ॐ अघोराय नमः । ॐ तत्पुरुषाय नमः । ॐ ईशानाय नमः । इन नामों का ही उपयोग पंचोपचार में करें ..इससे ही सम्पूर्ण पूजन सम्पन्न कर लें, किसी अन्य मन्त्र की जरूरत नहीं पड़ेगी..

