भाद्रपद महीने की अमावस्या या भादो या कुशोत्पाटिनी अमावस्या विशेष होती है. यह अमावस्या पितृ तर्पण के लिए महत्वपूर्ण है. इस अमावस्यामें पवित्र नदियों में स्नान व दान का भी बहुत महत्व है. अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ गण होते हैं, अमावस्या में चन्द्रमा की कला नहीं होती लेकिन यह एक विशेष अमा कला से युक्त होता है. इस अमाकला का ही पितृगण पान करते हैं. इस तिथि में पितर पूजन और तर्पण से वे प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं. अमावस्या पर प्रजापति का अधिपत्य माना गया है. अमावस्या में क्रूर कर्म, किसी जीव की हत्या कदापि न करें, इससे प्रजापति का शाप लगता है और संतानोत्पत्ति में बाधा होती है. अमावस्या को गिरगिट का भी वध नहीं करना चाहिए, ऐसा वेदों में कहा गया है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार जिन लोगों पर पितरों की कृपा होती है उनके जीवन में हर कार्य सफल होता है और सुख-शांति आती है. पितरों की अप्रसन्नता से घर में समृद्धि नहीं होती, सन्तान उत्पत्ति में बाधा और कई बार वंश वीर्य सदैव के लिए निरुद्ध हो जाता है. भाद्रपद की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है क्योंकि इसी अमावस्या में कुश को उखाड़ा जाता है. इस कुश का इस्तेमाल पूरे साल भर देवी-देवता और पितरों की पूजा के लिए तथा शादी-विवाह, मांगलिक कार्यों आदि में किया जाता है. कुश तोड़ने से पहले उनसे क्षमायाचना करें. इसके साथ ही प्रार्थना करते हुए कुश को आमंत्रित करें और विष्णु भगवान का कुश मूल में पूजन करें. तत्पश्चात कहें “हे कुश ! आप मेरे निमंत्रण को स्वीकार करें और मेरे साथ मेरे घर चलें.” फिर ‘ऊं ह्रूं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करते हुए कुश को उखाड़ना लें और उसे अपने साथ घर ले आएं.
भाद्रपद अमावस्या के दिन भगवान विष्णु का पूजन करना भी विशेष फलदायी माना गया है. साथ ही अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
भाद्रपद अमावस्या में पितृ तर्पण-पूजन के इतर अमावस्या दोष निवारण और शनिदोष निवारण भी किया जा सकता है.
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्या तिथि 14 सितंबर को सुबह 4 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 15 सितंबर को सुबह 7 बजकर 9 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी.
भाद्रपद अमावस्या का स्नान और दान का समय 14 सितंबर को ही आरंभ होगा शुभ मुहूर्त से शुरू होगा. इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:32 बजे से प्रातः 05:19 बजे तक रहेगा जो स्नान दान के लिए अति शुभ होगा.

